मुख्य समाचार
मिग-21 पुराने, मगर बाइसन नहीं : विशेषज्ञ
नई दिल्ली, 1 मार्च (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर में बुधवार को नियंत्रण रेखा पर एक हवाई भिड़त में एक मिग-21 विमान ने पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया, जिसकी सराहना हो रही है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आईएएफ का विमान भले ही सोवियत का पुराना था, लेकिन इसका उन्नत संस्करण बाइसन निस्संदेह पुराना नहीं है।
पाकिस्तान वायुसेना (पीएएफ) व भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के बीच हवाई लड़ाई हुई, जिसमें यह उभरकर आया कि विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने अपने मिग-21 को सफलतापूर्वक कुशलता के साथ संचालित किया और घुसपैठ करने वाले विमान को गिराने में कामयाब रहे।
हालांकि, पाकिस्तान ने हमले में एफ-16 विमान के शामिल होने से इनकार किया, लेकिन भारत ने इसके साक्ष्य होने की बात कही।
मिग-21 व एफ-16 अलग-अलग पीढ़ियों के हैं। पीएएफ ने अमेरिका निर्मित लड़ाकू विमान एफ-16सी/डी के उन्नत संस्करण को उड़ाया था, जबकि मिग-21 बाइसन, 60 साल से सेवा दे रहे एक विमान का उन्नत अवतार है।
भारत में मिग-21 के बारे में जनता की धारणा उत्साहजनक नहीं है, क्योंकि विमान के लगातार दुर्घटनाग्रस्त होने से इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ का नाम मिल गया है, जिसका हाल में पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण माहौल में पुराने लड़ाकू विमान को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि एफ-16 निसंदेह गतिशीलता व हथियार से लक्ष्य साधने के संदर्भ में बहुत ही बेहतर है, लेकिन मिग-21 की अपनी खासियत है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मिग-21 स्पष्ट तौर पर भारतीय वायुसेना की पसंद है, ऐसा इसके गश्त के लिए तत्परता की वजह से है, जो 100 नंबर पुलिस के समान है, जिसका किसी भी आपात स्थिति में हर समय इस्तेमाल किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस भूमिका के लिए मिग-21 सबसे तरजीही विमान है, क्योंकि वे अन्य दूसरे सभी लड़ाकू विमानों की तुलना में हवाई यात्रा करने के लिए सबसे कम समय लेते हैं। मिग-21 केवल दो मिनट में लॉन्च किया जा सकता है।
मिग-21 बाइसन किसी अन्य आधुनिक लड़ाकू विमान की तरह हथियारों की एक रेंज को ले जा सकता हैं और इसमें काफी अच्छी सुविधाएं हैं। इसमें आर073 की लड़ाकू मिसाइल है, जिसकी रेंज 20-25 किमी है और विजुअल रेंज की मिसाइल से परे फायर कर सकता है। इसमें रडार, जैमर्स व प्रतिरोधी उपाय के तौर डिस्पेंसिंग सिस्टम चफ व फ्लेयर्स शामिल हैं।
भारतीय वायुसेना मिग-21 के प्रतिस्थापन के प्रयास में लगी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक बल को अन्य विमान नहीं मिल जाता तब तक इसे ही उड़ाना है।
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महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात
महाकुम्भनगर| महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।
हर गतिविधि होगी कैप्चर
महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।
महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन
महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।
एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद
महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।
ये है टीथर्ड ड्रोन
महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।
बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम
टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।
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