Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

मुंबई-अहमदाबाद ट्रेनों की 40 फीसदी सीटें होती है खाली : आरटीआई

Published

on

Loading

मुंबई, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)| नरेंद्र मोदी सरकार जहां मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की योजना पर आगे बढ़ रही है, वहीं एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन के जरिए यह जानकारी मिली है कि इस क्षेत्र की ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रहती हैं, और इससे पश्चिम रेलवे को भारी नुकसान हो रहा है। मुंबई के कार्यकर्ता अनिल गलगली को मिले आरटीआई के जवाब में पश्चिम रेलवे ने कहा है कि इस क्षेत्र में पिछले तीन महीनों में 30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, यानी हर महीने 10 करोड़ रुपये का नुकसान।

गलगली ने कहा कि यह बुलेट ट्रेन परियोजना की व्यवहार्यता पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है, चाहे जब भी इसका निर्माण किया जाए। उन्होंने कहा, भारत सरकार अतिउत्साह में बुलेट ट्रेन परियोजना पर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने जा रही है, लेकिन उसने अपना होमवर्क ठीक से नहीं किया है।

भारतीय रेलवे ने यह भी स्वीकार किया कि इस क्षेत्र में उसकी कोई नई ट्रेन चलाने की योजना नहीं है, क्योंकि यह पहले ही घाटे में है।

गलगली द्वारा पूछे गए प्रश्न कि दोनों शहरों के बीच की ट्रेनों की कितनी सीटें भरी होती हैं? पश्चिम रेलवे ने बताया कि पिछले तीन महीनों में मुंबई-अहमदाबाद क्षेत्र की सभी ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रही हैं, जबकि मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली ट्रेनों की 44 फीसदी सीटें खाली रही हैं।

पश्चिम रेलवे के मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक मनजीत सिंह ने आरटीआई के जवाब में मुंबई-अहमदाबाद-मुंबई मार्ग की सभी प्रमुख ट्रेनों की सीटों की जानकारी दी। इसमें दुरंतो, शताब्दी एक्सप्रेस, लोकशक्ति एक्सप्रेस, गुजरात मेल, भावनगर एक्सप्रेस, सुरक्षा एक्सप्रेस, विवेक-भुज एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनें शामिल हैं।

इस क्षेत्र की सबसे लोकप्रिय ट्रेन 12009 शताब्दी एक्सप्रेस की मुंबई-अहमदाबाद मार्ग की क्षमता 72,696 सीटों की है, जिसमें से जुलाई-सिंतबर के दौरान केवल 36,117 सीटें ही भरी गईं, जबकि इसी ट्रेन की अहमदाबाद-मुंबई मार्ग पर कुल 67,392 सीटों में से केवल 22,982 सीटों की ही बुकिंग हुई।

यह ट्रेन कभी सभी सीजन में भरी हुई होती थी, लेकिन अब यह घाटे में चल रही है।

गलगली ने ध्यान दिलाया कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, जहां लोग विमान से अधिक सफर कर रहे हैं, दोनों शहरों के बीच सड़क मार्ग से सफर करना आसान हो गया है। केंद्र और गुजरात सरकार को बुलेट ट्रेन जैसे महंगे विकल्प की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि यह भारतीय करदाताओं के लिए सफेद हाथी साबित नहीं हो।

Continue Reading

नेशनल

दिल्ली में सांस लेना है कितना खतरनाक, देखें इस खबर को

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में प्रदूषण से लोगों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार सुबह 6 बजे दिल्ली के अधिकतर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के करीब दर्ज किया गया. जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. आज दिल्ली के अलीपुर में AQI 362, आनंद विहार में 393, जहांगीरपुरी में 384, मुंडका में 396, नरेला में 383, नेहरू नगर में 362, पंजाबी बाग में 370, शादीपुर में 398, रोहिणी में 381 और विवेक विहार में 395 दर्ज किया गया. वायु प्रदूषण के कारण कई लोगों को सांस लेने में और आंखों में जलन की परेशानी हो रही है.

जीवन के 12 साल छीन रहा वायु प्रदूषण

बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा माना जाता है। वहीं 51 से 100 एक्यूआई को संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401-500 के बीच एक्यूआई को गंभीर श्रेणी का माना जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल्ली का प्रदूषण लोगों के जीवन के 12 साल उनसे छीन रहा है। वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में एक दिन सांस लेने का मतलब है दिन भर में 10 से अधिक सिगरेट के बारबर धुएं को अपने शरीर में लेना। बता दें कि दिल्ली के वायु प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है।

Continue Reading

Trending