उत्तराखंड
मुख्यमंत्री ने माना, केदारनाथ मंदिर के पास मिले 31 नर कंकाल
देहरादून, उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को स्वीकार किया कि केदारनाथ मंदिर के आसपास से कई नर कंकाल बरामद हुए हैं। यह कंकाल उन लोगों के हैं जो साल 2013 में भारी वर्षा और अचानक आई बाढ़ के कारण काल के गाल में समा गए थे। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पुष्टि की कि 31 नर कंकाल मिले थे, जिनमें 23 की अंत्येष्टि कर दी गई।
यह दिल दहलाने वाली खोज केदारनाथ मार्ग पर त्रियुगीनारायण में की गई थी। यह स्थल साल 2013 में भारी वर्षा और अचानक आई बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक जांच के लिए कंकाल के डीएनए सुरक्षित रख लिए गए हैं और बाद में पहचान की जाएगी। केदारनाथ क्षेत्र में अनेक नर कंकाल मिलने की अपुष्ट रपटों के बाद यह रहस्योद्घाटन किया गया है।
अधिकारियों को आशंका है कि नर कंकाल उन श्रद्धालुओं के हैं जो केदारनाथ के ऊपर बादल फटने के बाद उफनती नदी को देख उंचाई पर शरण लेने के लिए भागे थे, लेकिन भोजन और पानी के अभाव में उनकी मौत हो गई। एक अधिकारी ने कहा कि शेष 8 नर कंकालों की अंत्येष्टि मंगलवार को होगी।
मुख्यमंत्री रावत ने और नर कंकाल की खोज के लिए अधिकारियों को अगले कुछ दिनों तक क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान चलाने का निर्देश दिया है अधिकारियों के अनुसार, त्रियुगीनारायण क्षेत्र में 31 नर कंकालों का मिलना संकेत देता है कि इस क्षेत्र में और नरकंकाल दफन हो सकते हैं। आपदा में हजारों श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और सैकड़ों लापता हो गए थे।
उस समय छोटा तलाशी अभियान चलाया गया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। कई परिवारों ने अपने स्तर से भी तलाशी अभियान चलाए थे, मगर कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई थी।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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