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अन्तर्राष्ट्रीय

मेरे देश को समझने के लिए अफगान साहित्य पढ़ें : करजई

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जयपुर 27 जनवरी (आईएएनएस)| अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई का कहना है कि अफगानिस्तान के बारे में पश्चिमी देशों का नजरिया पूर्वाग्रह से प्रेरित हो सकता है अथवा उसमें प्रासंगिक समझ का अभाव हो सकता है। इसलिए अफगानिस्तान को समझने के लिए अफगान साहित्य को पढ़ना जरूरी है।

जयपुर में आयोजित ‘जी’ जयपुर साहित्य सम्मेलन में शिरकत करने यहां पहुंचे करजई ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, अफगान साहित्य काफी समृद्ध है और इसमें बहुत कुछ पढ़ने व समझने को है।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के बारे में पश्चिमी देशों का नजरिया ज्यादातर नकारात्मक हो सकता है और उसमें सकारात्मक पहलुओं की उपेक्षा हो सकती है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों की जीवन पद्धति और विलक्षण संस्कृति की झलक अफगानी साहित्य में ही मिल सकती है।

करजई ने 17वीं सदी के सूफी कवि अब्दुर रहमान मोहम्मद ‘रहमान बाबा’ और उनके समकालीन खुशाल खाल खाटक के नामों का उल्लेख किया। मशहूर राष्ट्रीय कवि खाटक को मुगलों के अत्याचार के विरोध के लिए जाना जाता है।

करजई ने कहा कि खलीलुल्लाह असि को 20वीं सदी का सबसे मशहूर अफगान कवि माना जाता है, जो प्राचीन फारसी के अंतिम और आधुनिक फारसी के प्रथम कवि भी कहलाते हैं। काहर असि भी प्राचीन और नई दोनों विधाओं में मशहूर हुए लेकिन बदकिस्मती से 1990 में अफगान युद्ध के दौरान हुई गोलाबारी में वह मारे गए।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में संघर्ष का लंबा दौर रहा है और उसका प्रभाव कई दशकों से देखा जा रहा है लेकिन देश में साहित्य लगातार समृद्ध होता रहा है।

करजई ने कहा, जब कोई किताब अफगानिस्तान पर प्रकाशित होती है तो उसे पश्तो भाषा में अनूदित कर एक सप्ताह के भीतर लोगों को उपलब्ध करा दिया जाता है।

करजई ने कहा कि उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर और कालिदास की कृतियां पढ़ी हैं और भारतीय गायक मन्ना डे के गीत सुनते रहे हैं।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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