खेल-कूद
मौकापरस्तों से कब आजाद होगा भारतीय क्रिकेट?
नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)| 70 साल के आजाद भारत में क्रिकेट संघ आज भी मौकापरस्त लोगों के हाथों की कठपुतली है। बिहार क्रिकेट संघ ने देश की आजादी के 12 वर्ष पूर्व ही मान्यता प्राप्त कर ली थी, यानी संघ 1935 में गठित होकर काम करने लगा था। फिर भी गुलाम भारत देश के अंदर क्रिकेट संघ आजाद था।
आजादी का अभिप्राय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान और ईमानदारी से कार्यों का निर्वहन है। कालांतर में क्रिकेट संघ को आगे ले जाने की जिम्मेवारी जिन्हे मिली, ऐसा नहीं है कि उन्होंने विकास के लिए प्रयास नही किए, लेकिन निजी स्वार्थ, लोभ या कोई अन्य वजहों से उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन नही किया।
1983 के विश्व कप जीतने के बाद देश के अंदर क्रिकेट ने धर्म का रूप ले लिया। संघ को आगे लाने और आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जाने लगे। विभिन्न प्रकार के टूर्नामेंटों का आयोजन कर खेल के विकास के साथ धनोपार्जन का प्रयास भी जारी रहा। इसी कड़ी में आईपीएल का आयोजन खिलाड़ियों के आर्थिक विकास के साथ संघ को स्वावलंबन बनाने में मील का पत्थर साबित हुआ।
कहावत है की विकास अपने साथ नैतिक और प्राकृतिक विनाश को लेकर आगे बढत़्ाा है। देश की आबादी और क्रिकेट का जुनून सर चढ़कर बोलने लगा। बीसीसीआई विश्व के सबसे धनी खेल संघ के रूप में सामने आया। अब खेल संघ में बने रहने का नशा कुछ अवसरमंद लोगों को परवान चढ़ने लगा। नियमों में बदलाव कर अपने समर्थक को लाभ पहुंचाकर सत्ता में स्थापित रहने की भूख मिटाई जाने लगी।
स्वतंत्र भारत देश के लाखों युवाओं, बच्चों को खेल से वंचित रखा गया, यानी आजाद भारत देश के कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए लाखों युवाओं को अपनी गुलामी करने के लिए विवश कर दिए।
जिस अन्याय, अत्याचार को पदार्फाश करने की जिम्मेवारी समाज के चौथे स्तंभ को थी, वो भी इसके स्वाद को पाने के प्रयास में लिप्त दिखे या यह कहा जाये की कुछ लोगों को छोड़कर बीसीसीआई के पदाधिकारियों ने इन्हे ‘एनटी सिपेटरी ऑबेडियेंट’ बना दिया।
ऐसे में पीड़ितों के पास जाने का एक ही रास्ता बचा था वो है ‘न्यायालय’। जैसा की हम सबको मालूम है कई वर्षों की जिरह और पैनल गठन करने और उनके सिफारिशों को हूबहू आत्मसात करने के उपरांत माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 18 जुलाई, 2016 को एक ऐतिहासिक आदेश सुनाया। आज उस आदेश के एक वर्ष से अधिक होने को हैं, नया क्रिकेट सत्र शुरू होने वाला है लेकिन अभी तक आदेश का पालन नही हुआ।
आज देश की आजादी के 70 वर्ष पूरे हो गए, लेकिन देश का सबसे वंचित क्षेत्र नार्थ ईस्ट स्टेट, भारत का तीसरा अधिक जनसंख्या वाला प्रदेश बिहार, उत्तराखंड, पांडिचेरी के युवा चीख-चीखकर बीसीसीआई से क्रिकेट खेलने की आजादी मांग रहे हैं।
जिन युवाओं का क्रिकेट खेल धर्म है और इस खेल के प्रति जो जुनून है, यदि हम उससे इन्हे महरूम रखे तब यह गुलामी से उपर कुछ भी नही है। जब देश के अन्य क्षेत्रों में भागीदारी से हमें वंचित नही रखा गया है, तब इस खेल से अलग क्यूं?
हमारे राज्य के युवा देश की सरहद की रक्षा करते हुए प्राण की बलि दे सकते हैं तब उनके भाई, बहन को खेलने से वंचित क्यों रखा गया है। मणिपुर की मेरी कॉम भारत देश के लिए ओलंपिक में मेडल प्राप्त कर सकती है, तब उनका बेटा, भाई, बहन उस राज्य मे रहने वाले क्रिकेट क्यों नही खेल सकते हैं?
(लेखक बिहार क्रिकेट संघ के सचिव हैं। ये इनके निजी विचार हैं)
खेल-कूद
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच आज खेला जाएगा चौथा और आखिरी टी -20 मैच, जानें कितने बजे शुरू होगा मैच
जोहानसबर्ग। भारत ने साउथ अफ्रीका को टी20 सीरीज के तीसरे टी20 मैच में 11 रन से मात दी और चार मैचों की सीरीज में 2-1 से अजेय बढ़त भी हासिल की। यह मैच सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में खेला गया था। साउथ अफ्रीका के कप्तान एडेन मार्कराम ने टॉस जीतकर गेंदबाजी चुनी। भारतीय टीम ने रमनदीप सिंह को डेब्यू का मौका दिया।
कितने बजे होगा टॉस
हालांकि टीम इंडिया के लिए ये इतना भी आसान नहीं होगा क्योंकि पिछले 2 मैचों में सलामी बल्लेबाज संजू सैमसन अपना खाता भी नहीं खोल पाए थे। वहीं, भारतीय टीम के लिये रिंकू सिंह का बल्लेबाजी क्रम और खराब फॉर्म भी चिंता का सबब बना हुआ है।अब चौथे मैच पर सभी की निगाहें टिकी हैं। हालांकि इस बार भी फैंस की रात काली होने वाली है क्योंकि पिछले मैच की तरह चौथे T20I मैच का आगाज भी 8 बजकर 30 मिनट पर होगा। टॉस आधे घंटे पहले यानी रात 8 बजे होगा।
दोनों टीमें इस प्रकार हैं:
भारतीय टीम: सूर्यकुमार यादव (कप्तान), अभिषेक शर्मा, संजू सैमसन (विकेटकीपर), रिंकू सिंह, तिलक वर्मा, जितेश शर्मा (विकेटकीपर), हार्दिक पंड्या, अक्षर पटेल, रमनदीप सिंह, वरुण चक्रवर्ती, रवि बिश्नोई, अर्शदीप सिंह, विजयकुमार विशक। आवेश खान, यश दयाल।
साउथ अफ्रीका की टीम: एडेन मारक्रम (कप्तान), ओटनील बार्टमैन, गेराल्ड कोएत्जी, डोनोवन फरेरा, रीजा हेंड्रिक्स, मार्को जानसन, हेनरिक क्लासेन, पैट्रिक क्रुगर, केशव महाराज, डेविड मिलर, मिहलाली मपोंगवाना, नकाबा पीटर, रयान रिकेलटन, एंडिले सिमलेन, ट्रिस्टन स्टब्स।
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