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प्रादेशिक

यूपी में लालची डॉक्टर ले रहे मरीजों की जान : भाजपा

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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार में रुपयांे के भूखे डाक्टर मरीजों की जान ले रहे हैं। पार्टी ने कहा कि पूरे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का बुराहाल है, सरकारी अस्पताल उगाही का केंद्र बन गए हैं।

भाजपा ने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पतालों में तैनात अधिकांश चिकित्सकों के संरक्षण में ही अस्पतालों के आस-पास प्राइवेट नर्सिग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर फल-फूल रहे हैं। पार्टी मुख्यालय पर बातचीत में राजधानी के लोहिया अस्पताल में 22 वर्षीय एक युवक की मामूली सर्जरी के दौरान मौत की घटना को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि डॉक्टर सरकारी अस्पतालों को महज टोकन सेंटर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रखते ये डॉक्टर पैसे की हवस में कई बार मरीज के साथ कुछ भी कर गुजरने में संकोच नहीं करते।

उन्होंने कहा कि गॉलब्लाडर में पथरी के आपरेशन के लिए युवक शिवम शुक्ला भरोसा कर डॉक्टर के पास गया था, पर वहां उसे मिला छल, फरेब और लापरवाही। पाठक ने कहा कि जिस तरह शिवम शुक्ला को प्रारंभिक तौर पर मेडिकल सलाह लोहिया अस्पताल में दी गई, लेकिन 40 हजार रुपये लेकर आपरेशन प्राइवेट अस्पताल में किया गया और हालत बिगड़ने पर फिर उसे लोहिया अस्पताल में भर्ती कर दिया गया, इससे स्पष्ट है कि धनार्जन के लिए डॉक्टर सरकारी अस्पताल में रहते अपना कारोबार चला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट आ रही है, चाहे स्वस्थ्य मंत्री का गृह जनपद हो या फिर मुख्यमंत्री का पैतृक जनपद, सभी जगहों का बुराहाल है। सरकारी अस्पतालों के ईर्द-गिर्द बड़ी संख्या में कुकरमुत्ते की तरह जांच केंद्र तथा नर्सिग होम का फैलाव जारी है। पाठक ने कहा कि सरकार में बैठे उच्चस्तरीय लोग सब कुछ जानने के बावजूद इन लालची डॉक्टरों पर कोई सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा कि वह कहते हैं कि मीडिया उनके सरकार के अच्छे कामों को नहीं दिखाता, अब सरकार के जो ये ‘अच्छे काम’ हैं, उसको वह खुद ही दिखवा लें, ताकि आगे से फिर कोई शिवम शुक्ला पैसे के लालची डॉक्टरों की भेंट न चढ़े।

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उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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