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‘यौन उत्पीड़न को उजागर करने की ‘मीटू’ ने हिम्मत पैदा की’

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 कोलकाता, 20 जनवरी (आईएएनएस)| एपीजे कोलकाता साहित्योत्सव (एकेएलएफ) के दसवें संस्करण में एक परिचर्चा में कहा गया कि यौन शोषण के खिलाफ ‘मीटू’ अभियान द्वारा शुरू की गई चर्चा बदलाव लाने वाली रही है और कोई अपने ‘दर्द’ का जब इजहार करे तो लोगों को उस पर विश्वास करना चाहिए।

  लेखिका अनुजा चौहान ने कहा, “मीटू मूवमेंट का हर पहलू महत्वपूर्ण है। दो बेटियों की मां के रूप में मैं इस बात को लेकर बहुत आश्वस्त महसूस करती हूं कि एक नए तरह की चर्चा शुरू हुई है और लोग अब उस स्पेस की पुनव्र्याख्या कर रहे हैं जहां पुरुष और महिला संवाद करते हैं।”

उन्होंने कहा कि वह महसूस करती हैं कि महिलाएं अब आगे आकर समान वेतन मांग रही हैं और ऐसी सक्रियता दिखा रही हैं जैसी पहले नहीं देखी गई। उन्होंने कहा कि यह कोई ऐसा विषय नहीं है जो साहित्यिक समारोह तक सीमित है, यह बहुत महत्वपूर्ण संवाद है जो पूरे समाज तक जाएगा।

किसी व्यक्ति की तकलीफ भरी कहानी में विश्वास करने की जरूरत पर बल देते हुए लेखिका शोभा डे ने कहा, “मीटू की पहली बात, सुनना शुरू करना है। उस महिला को सुनो अगर उसे चोट पहुंची है। भले यह बीस साल पहले की बात हो लेकिन, जख्म तो जख्म होता है। उन महिलाओं और पुरुषों पर विश्वास करना सीखें जिनका (यौन) उत्पीड़न हुआ है।”

उन्होंने कहा कि यह किसी को दोषी ठहराना नहीं है। यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और समाज का परीक्षण है जिसने इस तरह का विभाजन पैदा किया है।

लेखक रुचिर जोशी ने कहा, “मुझे लगता है कि कुछ नकारात्मक बातें भी हैं, जैसे बिना किसी आधार के आरोप लगाना। लेकिन, कुल मिलाकर, यह आंदोलन बेहद सकारात्मक है जिसने हम सभी को अपनी सोच पर पुनर्विचार के लिए बाध्य किया है।”

पूर्व संपादक व पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे.अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली पत्रकार शुतापा पॉल मामले के अदालत में होने की वजह से अधिक नहीं बोलीं। उन्होंने कहा, “इससे हमें इतनी हिम्मत मिलती है कि हम देश के केंद्रीय मंत्री जैसे शक्तिशाली के खिलाफ भी आवाज उठा सकें। इस तरह की हिम्मत, मीटू का सकारात्मक प्रभाव है।”

पॉल ने कहा, “मुझे खुशी है कि इस आंदोलन की वजह से कई संस्थाओं-संगठनों ने कार्यस्थल पर ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए समितियों का गठन किया है। आप सिर्फ यह नहीं कह सकते कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ क्योंकि पढ़ने के बाद वह काम करने जाएगी। उसे वहां (कार्यस्थल पर) सुरक्षित महसूस करने की जरूरत है।”

समस्या के सार्वभौम स्वरूप पर जोर देते हुए अभिनेता जयंत कृपलानी ने कहा, “मुझे अनुशासित करने की आड़ में मेरे साथ पहली बार छेड़छाड़ पुरुष द्वारा स्कूल में की गई थी। यह सभी के साथ, पुरुष, महिला, ट्रांसजेंडर सभी के साथ किसी भी उम्र में होता है।”

डे ने बॉलीवुड फिल्मकार राजकुमार हिरानी (जिन पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है) के मामले का जिक्र किया जिनके समर्थन में कई महिलाओं ने आगे आकर कहा कि वह बहुत सभ्य व्यक्ति हैं। डे ने कहा कि किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि बहुत शालीन दिखने वाला कोई व्यक्ति यौन उत्पीड़क नहीं हो सकता। मीटू चर्चा का सामान्यीकरण इसे महत्वहीन बनाता है।

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महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

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महाकुम्भनगर|  महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।

हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

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 कोलकाता, 20 जनवरी (आईएएनएस)| एपीजे कोलकाता साहित्योत्सव (एकेएलएफ) के दसवें संस्करण में एक परिचर्चा में कहा गया कि यौन शोषण के खिलाफ ‘मीटू’ अभियान द्वारा शुरू की गई चर्चा बदलाव लाने वाली रही है और कोई अपने ‘दर्द’ का जब इजहार करे तो लोगों को उस पर विश्वास करना चाहिए।

  लेखिका अनुजा चौहान ने कहा, “मीटू मूवमेंट का हर पहलू महत्वपूर्ण है। दो बेटियों की मां के रूप में मैं इस बात को लेकर बहुत आश्वस्त महसूस करती हूं कि एक नए तरह की चर्चा शुरू हुई है और लोग अब उस स्पेस की पुनव्र्याख्या कर रहे हैं जहां पुरुष और महिला संवाद करते हैं।”

उन्होंने कहा कि वह महसूस करती हैं कि महिलाएं अब आगे आकर समान वेतन मांग रही हैं और ऐसी सक्रियता दिखा रही हैं जैसी पहले नहीं देखी गई। उन्होंने कहा कि यह कोई ऐसा विषय नहीं है जो साहित्यिक समारोह तक सीमित है, यह बहुत महत्वपूर्ण संवाद है जो पूरे समाज तक जाएगा।

किसी व्यक्ति की तकलीफ भरी कहानी में विश्वास करने की जरूरत पर बल देते हुए लेखिका शोभा डे ने कहा, “मीटू की पहली बात, सुनना शुरू करना है। उस महिला को सुनो अगर उसे चोट पहुंची है। भले यह बीस साल पहले की बात हो लेकिन, जख्म तो जख्म होता है। उन महिलाओं और पुरुषों पर विश्वास करना सीखें जिनका (यौन) उत्पीड़न हुआ है।”

उन्होंने कहा कि यह किसी को दोषी ठहराना नहीं है। यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और समाज का परीक्षण है जिसने इस तरह का विभाजन पैदा किया है।

लेखक रुचिर जोशी ने कहा, “मुझे लगता है कि कुछ नकारात्मक बातें भी हैं, जैसे बिना किसी आधार के आरोप लगाना। लेकिन, कुल मिलाकर, यह आंदोलन बेहद सकारात्मक है जिसने हम सभी को अपनी सोच पर पुनर्विचार के लिए बाध्य किया है।”

पूर्व संपादक व पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे.अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली पत्रकार शुतापा पॉल मामले के अदालत में होने की वजह से अधिक नहीं बोलीं। उन्होंने कहा, “इससे हमें इतनी हिम्मत मिलती है कि हम देश के केंद्रीय मंत्री जैसे शक्तिशाली के खिलाफ भी आवाज उठा सकें। इस तरह की हिम्मत, मीटू का सकारात्मक प्रभाव है।”

पॉल ने कहा, “मुझे खुशी है कि इस आंदोलन की वजह से कई संस्थाओं-संगठनों ने कार्यस्थल पर ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए समितियों का गठन किया है। आप सिर्फ यह नहीं कह सकते कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ क्योंकि पढ़ने के बाद वह काम करने जाएगी। उसे वहां (कार्यस्थल पर) सुरक्षित महसूस करने की जरूरत है।”

समस्या के सार्वभौम स्वरूप पर जोर देते हुए अभिनेता जयंत कृपलानी ने कहा, “मुझे अनुशासित करने की आड़ में मेरे साथ पहली बार छेड़छाड़ पुरुष द्वारा स्कूल में की गई थी। यह सभी के साथ, पुरुष, महिला, ट्रांसजेंडर सभी के साथ किसी भी उम्र में होता है।”

डे ने बॉलीवुड फिल्मकार राजकुमार हिरानी (जिन पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है) के मामले का जिक्र किया जिनके समर्थन में कई महिलाओं ने आगे आकर कहा कि वह बहुत सभ्य व्यक्ति हैं। डे ने कहा कि किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि बहुत शालीन दिखने वाला कोई व्यक्ति यौन उत्पीड़क नहीं हो सकता। मीटू चर्चा का सामान्यीकरण इसे महत्वहीन बनाता है।

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महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

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हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

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