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मुख्य समाचार

राजनयिक के शिखर सम्मेलन प्रस्ताव पर चीन मौन

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बीजिंग, 20 जून (आईएएनएस)| चीन बुधवार को अपने राजनयिक के बयान पर मौन साधे रहा। चीन के राजनयिक ने चीन, भारत व पाकिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक प्रस्ताव का सुझाव दिया था। इस विचार को भारत पहले ही खारिज कर चुका है।

विदेश मंत्रालय ने चीन के राजनयिक लुओ झाओहुई के सुझाव का न तो समर्थन किया और न इससे दूरी बनाई।

इसके बारे में भारत का मानना है कि उन्होंने यह अपनी निजी राय दी।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, भारत व पाकिस्तान दोनों चीन के पड़ोसी व दोस्त हैं। हम इस क्षेत्र में बेहतर विकास व स्थिरता के लिए अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान व भारत सहित सभी पड़ोसियों से संबंध बनाने के इच्छुक हैं।

गेंग ने कहा, हमें उम्मीद है कि भारत व पाकिस्तान आपसी विश्वास व द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए अपने संवाद को मजबूत कर सकते हैं। यह क्षेत्र के देशों के हित में है।

यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली में लुओ की टिप्पणी चीन की आधिकारिक स्थिति थी, तो गेंग ने कहा, मैंने जो अभी कहा है वह चीन की आधिकारिक स्थिति है।

दिल्ली में सोमवार को चीन दूतावास द्वारा आयोजित एक सेमिनार में लुओ ने कहा कि भारत, चीन व पाकिस्तान को एक संयुक्त बातचीत में शामिल होना चाहिए।

उन्होंने दिल्ली में सामरिक समुदाय के चीन पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) के तीन स्तंभों में से सुरक्षा सहयोग भी एक स्तंभ है। कुछ भारतीय मित्रों ने भारत, चीन और पाकिस्तान में एससीओ से इतर त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा ऐसा हो सकता है, क्योंकि यदि चीन, रूस और मंगोलिया त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन कर सकते हैं तो भारत, चीन व पाकिस्तान क्यों नहीं।

उन्होंने संवाददाताओं से बाद में कहा, यह अभी नहीं, लेकिन भविष्य में हो सकता है, यह एक अच्छा विचार है। इससे द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने और शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी।

भारत ने इस प्रस्ताव को फौरन खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह सुझाव लुओ की निजी राय हो सकती है।

विदेश मामलों के मंत्रालय ने कहा, हमने इस मामले में चीनी राजदूत द्वारा की गई टिप्पणियों पर रिपोर्ट देखी है। हमें चीनी सरकार से ऐसा कोई सुझाव नहीं मिला है। हम इस बयान को राजदूत की निजी राय मानते हैं।

भारत का कहना है कि इसकी पाकिस्तान के साथ विवाद पूरी तरह से द्विपक्षीय मामला है और इस मामले में किसी तीसरे देश के शामिल होने की कोई गुंजाइश नहीं है।

चीन ने कभी भी आधिकारिक तौर पर भारत व पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद में शांति की मध्यस्थता की इच्छा नहीं जताई है।

चीन पाकिस्तान का सहयोगी है और इसकी बेल्ट व रोड परियोजना का प्रमुख मार्ग पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है, जिस पर भारत अपना बताता है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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