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राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद पर विवाद नहीं : सचिन
जयपुर, 1 अप्रैल (आईएएनएस)| कांग्रेस की राजस्थान इकाई में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद की खबरों को खारिज करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा है कि पार्टी की राजस्थान इकाई में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई विवाद नहीं है।
उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान ने राज्य से पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महत्वपूर्ण पद दिया है।
उन्होंने कहा, यह कोई मुद्दा नहीं है और इन बातों (पायलट और गहलोत के बीच मतभेद) के लिए हमारे विपक्षी जिम्मेदार हैं, जो ऐसी मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, हम एक टीम की तरह काम कर रहे हैं और मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी में इस तरह का कोई टकराव नहीं है।
कुछ समय से खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच विवाद है। राजस्थान में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को अशोक गहलोत को संगठन और प्रशिक्षण का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया। उन्हें जनार्दन द्विवेदी के स्थान पर नियुक्त किया गया है।
गहलोत ने हाल ही में एक समाचार पत्र को दिए एग साक्षात्कार में कहा था कि युवा नेताओं को कतार में खड़े होकर इंतजार करना सीखना चाहिए और उन्हें कतार तोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इससे यह प्रतीत हुअा था कि गहलोत अपने प्रतिद्वंद्वी युवा नेताओं को संदेश देना चाहते थे।
पायलट ने कहा कि पार्टी की परंपरा है कि चुनाव जीतने के बाद नवनिर्वाचित सदस्य मिलकर अपना नेता चुनते हैं।
महासचिव पद के लिए उनकी संभावित नियुक्ति पर उन्होंने कहा, इस बारे में मुझे अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि मुझे यहां पार्टी का नेतृत्व करने के लिए भेजा गया है।
सचिन 26 साल की आयु में सबसे युवा सांसद बने थे और पांच साल बाद 2009 में सबसे युवा मंत्री बने थे। उनकी देखरेख में कांग्रेस ने इस साल अजमेर और अलवर संसदीय क्षेत्र और मंडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के कठिन उपचुनाव जीते थे। उन्होंने इसका श्रेय कार्यकर्ताओं को दिया।
कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार सालों में 22 सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें से 20 सीटें हमारी पार्टी ने जीती। इससे पता चलता है कि मतदाताओं में कांग्रेस का विश्वास जाग रहा है।
जमीनी कार्यकर्ताओं को फिर से जोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा हाल में शुरू किए गए आक्रामक अभियान पर उन्होंने कहा, शांतिकाल में पसीना बहाने वालों को युद्धकाल में खून नहीं बहाना पड़ता है।
राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी नेतृत्व में बदलाव पर उन्होंने कहा, दुनिया में बदलाव ही स्थिर है। सभी अध्यक्षों की तरह राहुल भी एक लक्ष्य लेकर आए हैं। उनका लक्ष्य पार्टी में अधिक युवाओं को लाना है। युवाओं की अधिक संख्या वर्तमान भारत को प्रस्तुत करेगी।
सचिन ने कहा, हालांकि दशकों तक पार्टी के लिए काम कर चुके वरिष्ठों के अनुभवों का भी निश्चित रूप से सम्मान किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर उनकी सेवा ली जाएगी। यह भाजपा के मार्गदर्शक मंडल जैसा नहीं होगा, जहां वरिष्ठों को दरकिनार कर दिया गया है।
पायलट ने उन रपटों पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, जिनमें कहा गया है कि राहुल गांधी के हाल के भाषण के बाद से वरिष्ठ नेता इस्तीफा दे रहे हैं, जहां राहुल ने कहा था कि उन्होंने युवाओं के लिए मंच खाली छोड़ा है।
पायलट ने भाजपा की ‘कार्य शैली’ की भी अलोचना की। उन्होंने आश्चर्य जताया, भाजपा ने स्टैंडअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वास्थ्य इंडिया जैसे कई अभियान शुरू किए हैं, लेकिन विकास कहां है?
उन्होंने कहा, क्या युवाओं को रोजगार मिल रहा है, किसान खुश हैं? देश की आर्थिक प्रगति हो रही है? स्मारकों के नाम बदलने, मंदिर और गौरक्षा राजनीति से देश का विकास कभी नहीं हो सकता।
सचिन ने कहा, उनका वास्तविक एजेंडा लोगों को सांप्रदायिक बनाना और ध्रुवीकरण करना है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने सरकार बनाने से पहले 611 वादे किए थे, उन वादों के पूरे होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही, और वोट पाने के लिए उनकी सरकार अभी भी वादे किए जा रही है।
उन्होंने कहा, अगले कुछ सप्ताहों में हम आगामी चुनाव पर अपना एजेंडा घोषित करेंगे।
हाल ही में एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कुछ लोगों द्वारा राजे को काले झंडे दिखाए जाने की घटना पर उन्होंने कहा, लोग आक्रोश में हैं। जब आप वादे करने के बाद उन्हें पूरा नहीं करते हैं, फिर उसका मुद्दा बनने के बाद आप जनता को डराना शुरू कर देते हैं। यह लोकतंत्र नहीं है। लोगों से संवाद कीजिए, आधी समस्या समाप्त हो जाएगी। लेकिन सरकार यहां बदला लेने पर उतारू है। वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों को गिरफ्तार कर रही है।
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मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
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