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उत्तराखंड

राज्यपाल ने चौथी विधानसभा में सरकार का मंतव्य प्रस्तुत किया

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राज्यपाल, उत्तराखंड, विधानसभा, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल, जल संसाधन

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देहरादून । उत्तराखंड के राज्यपाल डा.केके पाल ने चौथी विधानसभा का अभिभाषण सदन के पटल पर प्रस्तुत किया,जो एक तरह से प्रदेश की नई सरकार का मूलमंतव्य अथवा विजन डाक्यूमेंट है। इस अवसर पर महामहिम के साथ विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल भी उनके साथ उपस्थित थे। दोपहर तीन बजे के बाद इसी अभिभाषण को अध्यक्ष की ओर पुन:प्रस्तुत किया गया। अपने अभिभाषण की शुरुआत महामहिम राज्यपाल ने साहित्यिक शब्दों हिमालय वंदना से की और यहां की व्यवस्थाओं की चर्चा की,लेकिन अभिभाषण का प्रारंभ शिक्षा से प्रारंभ करना इस बात का संकेत है कि सरकार अपने प्रदेश की विशिष्टता को बनाए रखने के लिए कृति संकल्प है।

राज्यपाल, उत्तराखंड, विधानसभा, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल, जल संसाधन

 

राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था के सुधार किसी चुनौती से कम नहीं है। शिक्षा नीति एक समान व गुणवत्ता युक्त लागू रहे तथा प्रदेश को ज्ञान के केन्द्र के रूप में विकसित करने पर चर्चा की गई है,जो हिन्दूवादी राजनीति का प्रमुख अंग है। महामहिम राज्यपाल ने कहा कि रोजगार के नए अवसरों को बढ़ाना, पर्यटन, तीर्थाटन, महिला कल्याण, स्थानीय लोक कलाओं को प्रोत्साहित करना, पशुपालन, कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन, पलायन और बेरोजगारी पर रोक पर रहेगा सरकार का फोकस।
गन्ना किसानों को राहत, बागवानी को बढ़ावा, गांवो, कस्बों में बुनियादी ढांचे का होगा विकास, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों पर भी रहेगा फोकस। जल संसाधन के स्रोतों के रख-रखाव पर जोर, 2019 तक सभी गांवों को सड़कों से जोड़ा जाएगा। नियमित हवाई सेवाओं को बढ़ावा, जौलीग्रांट एयरपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। गांवों को विकसित करने के लिए अटल-आदर्श ग्रामीण योजना से जोड़ा जाएगा। महिला कल्याण सुरक्षा और विकास को बढ़ावा।
महिला अपराधों को रोकने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना। कामकाजी महिलाओं के लिए देहरादून और हल्द्वानी में महिला हॉस्टल बनेंगे। सरकारीं सेवाओं में एसटी एससी के बैकलॉग भरे जाएंगे। मदरसों को आधुनिक शिक्षा और कम्प्यूटर से जोड़ा जएगा। मेडिकल टूरिज्म को विकसित करने के लिए हैल्थ रिजॉर्टस और योग तथा आयुर्वेद आधारित केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। पर्यटकों के गाइड हेतु प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की जाएगी। तीर्थस्थलों के विकास के साथ तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा व सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। प्राचीन मंदिरों व देवालयों के रख-रखाव व जीर्णोद्वार के लिए ठोस पहल की जाएगी।
तीर्थटन की दृष्टि से राज्य के सभी महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों पर आधुनिक सभी आधारभूत सुविधाओं का सृजन कर पुराने धामों का विकास किया जाएगा तथा यथावश्यक नाए धामों का निर्माण करेगी। मध्य हिमालयी क्षेत्र में चिन्हित स्थानों पर योग अभ्यास केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। राज्य के कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए राज्य की कृषि भूमि का सर्वे कराकर ऐसी अनुसंधान प्रणाली विकसित की जाएगी। जिससे फसल एवं फलदार वृक्षों के लिए कौन सी भूमि किस क्षेत्र के लिए उपयुक्त है जिससे तेजी से फसल उत्पादन हो।
राज्यपाल ने 108 सेवा की चर्चा करते हुए कहा कि 108 को और अधिक सुदृढ़ व सशक्त बनाया जाएगा। साथ ही सचल चिकित्सा वाहन व्यवस्था को सुदृढ़ कर वाहनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। सरकारी अस्पताल आधुनिक और पूर्ण सुविधा संपन्न बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि टेली-मेडिसीन की व्यवस्था शुरू की जाएगी। राज्य में वर्तमान नए मेडिकल कॉलेज को सुविधा संपन्न बनाने के साथ-साथ नए मेडिकल कॉलेज खोलने के प्रयास किए जाएंगे। बीपीएल व आयकर के दायरे में न आने वाले परिवारों को स्वास्थ्य कल्याण कार्ड दिया जाएगा।

राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद, होम्योपैथी,यूनानी,नैचुरोपैथी आदि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाएगा। चिकित्सकों व अस्पतालों को समुचित सुरक्षा प्रदान की जाएगी। शिशु व महिला स्वास्थ्य के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार होने वाली दुर्घटनाओं को ध्यान रखते हुए आवश्यतानुसार ट्रॉमा सेंटर खोले जाएंगे।
राज्यपाल ने उत्तराखंड में बंजर भूमि विकास हेतु विशेष कार्य योजना बनाने की बात कही। अभिभाषण के अनुसार कृषि भूमि संरक्षण के लिए दीर्घकालिक व ठोस पहल की जाएगी। कृषि उत्पादन मंडियों का विस्तार व आधुनिकीकरण किया जाएगा। जैविक खेती, जड़ी-बूटी व फूलों सहित सगंध पौधों की खेती के लिए कलस्टर बनाकर विशेष सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए तात्कालिक व दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जाएंगी। लघु एवं सीमांत कृषकों की समस्याओं के निराकरण हेतु ठोस कार्ययोजना बनाकर कार्य करेगी। पशुपालन और गौ-पालन के लिए विशेष प्रयास कर श्वेत क्रांति की दिशा में पहल की जाएगी। वनाग्रि को रोकने और वन सरंक्षण में स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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