मुख्य समाचार
राष्ट्रनायकों की बदलती विरासत
नई दिल्ली। कहते हैं राजनीति में न तो कोई स्थाई मित्र होता है और न ही स्थाई शत्रु लेकिन वर्तमान भारतीय राजनीतिक दलों के नायकों में भी अब स्थायित्व का अभाव दिखाई पड़ता है। सिर्फ कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसने नेहरू-गांधी परिवार से आगे की कभी सोची ही नहीं। यह सही है कि भारत में ऐसी-ऐसी विभूतियां पैदा हुईं जिन्होंने समय-समय पर भारतीय राजनीति के साथ-साथ भारतीय समाज को भी नई दिशा प्रदान की और ऐसे राष्ट्रनायकों का उपयोग भी भारत के राजनीतिक दलों ने अपने निहित स्वार्थों के लिए बाखूबी किया है।
अब चाहे वह समाजवाद के पोषक रहे हों या दलित चेतना के सूत्रधार, शांति और अहिंसा के अग्रदूत हों या भारतीय संघ को मजबूत आयाम देने वाले, सभी का समय के साथ हमारे राजनेताओं ने इस्तेमाल किया है। राजनीति में नीति, नीयत और नेतृत्व की स्पष्टता के बगैर सफलता संभव नहीं है। नीति और नीयत की बात तो नहीं करता लेकिन राजनैतिक दलों ने नेतृत्व का चोला अपनी संभावनाओं व सुविधाओं के आधार पर पहना है।
सोशल मीडिया के इस ताकतवर युग में राष्ट्रनायकों की जयंतियां या पुण्यतिथियां राजनैतिक औजार के रूप में इस्तेमाल होने लगी हैं। नीति से इत्तेफाक रखते हों या न रखते हों, नायक को अपना और खुद को उनका सबसे बड़ा झंडाबरदार बताने में राजनैतिक दल कोई भी चूक नहीं कर रहे हैं। इस खेल में किसी एक का नाम नहीं लिया जा सकता। एक हमाम में सभी नंगे हैं।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हों या डा.राममनोहर लोहिया, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों चाहे मोरार जी देसाई, महात्मा गांधी हों या मौलाना अबुल कलाम आजाद सभी पार्टियां इन राष्ट्रनायकों का खुद को सबसे बड़ा अनुयायी बताने में नहीं चूक रहे हैं। कितना अच्छा हो यदि वास्तविक जीवन में इनके आदर्शों का एक हिस्सा भी उतार सकें।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि टनों बड़ी-बड़ी बातें करने से अच्छा है एक औंस काम वास्तव में करना। बाबा साहेब के जन्मदिवस पर दलित उद्धार की गगनचुंबी इमारत बनाने से अच्छा है दलित, पिछड़े व शोषित समाज को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कोई ठोस कार्य करना। राष्ट्रनायकों की जयंती और पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि सोशल मीडिया पर देना व उनके नाम पर कोई कार्यक्रम कर देने का एक दौर सा चल पड़ा है लेकिन इन नायकों को सच्ची श्रद्धाजंलि तभी होगी जब इनके आदर्शों को अमली जामा पहनाया जाय।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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