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राहुल वास्तव में बदल रहे कांग्रेस को?
भोपाल, 8 जून (आईएएनएस)| कांग्रेस के राष्ट्रीय सम्मलेन में राहुल गांधी का कार्यकर्ताओं के लिए मंच को खाली करा देना, फिर मंदसौर में कार्यकर्ताओं को पार्टी की असली ताकत बताना, इस बात को तो संकेत दे ही गया है कि अब कांग्रेस बदल रही है। पार्टी में कार्यकर्ताओं को महत्व देने और नेताओं के पर कतरने की जुगत जारी है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है, भाजपा की प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ कई तरह के असंतोष पनप रहे हैं। राज्य में भाजपा की सबसे मजबूत कड़ी कार्यकर्ता और संगठन है। उसके पीछे हिंदुत्व का ध्वज लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खड़ा है। धर्मनिरपेक्ष देश में संविधान सम्मत पार्टी कांग्रेस के पास इसका आसान तोड़ नहीं है। लिहाजा, युवा अध्यक्ष राहुल ने अब पार्टी कार्यकर्ताओं को धुरी बनाने का अभियान छेड़ा है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है, राहुल गांधी ने नई परंपरा की शुरुआत की है, किसी भी दल की रीढ़ कार्यकर्ता ही होते हैं, कार्यकर्ताओं की सक्रियता से ही संगठन मजबूत होता है। कार्यकर्ताओं को महत्व मिलने से पार्टी का संगठन मजबूत होगा और पार्टी की जमीनी स्तर पर ताकत बढ़ेगी।
राहुल गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में तीन नए सचिव बनाकर प्रदेश में भेजे हैं, वे भी जमीनी स्तर के कार्यकर्ता रहे हैं। बुंदेलखंड के झांसी से नाता रखने वाले सुधांशु त्रिपाठी वहां के जिलाध्यक्ष रहे हैं। उनके कार्यकाल में कांग्रेस का वर्ष 2007 और 2009 के विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ा था। तब झांसी की पहचान एक मॉडल संगठन के तौर पर बन गई थी।
इसी तरह महाराष्ट्र से नाता रखने वाली वर्षा गायकवाड़ धारावी विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक हैं, जमीनी कार्यकर्ता हैं। वह अपने क्षेत्र में महिलाओं और पिछड़ों व दलितों की लड़ाई लड़ने वाली नेता के तौर पर पहचान रखती हैं।
तीसरे सचिव के तौर पर हर्षवर्धन सपकाल की नियुक्ति हुई है जो महाराष्ट्र के बुलढ़ाना से विधायक हैं। ये तीनों सचिव अपने-अपने तरह से जमीनी स्तर पर जाकर पार्टी की स्थिति का आकलन कर रहे हैं।
इन तीनों सचिवों के अपने लिए आवंटित क्षेत्रों में कब दौरे हो जाते हैं, कब कार्यकर्ताओं से मिलकर लौट जाते हैं, इसकी खबर भी मीडिया तक को तब लगती है, जब उनका दौरा हो चुका होता है। पार्टी के लिए यह अच्छे संकेत ही कहे जाएंगे। ये सचिव नियमित रूप से साप्ताहिक तौर पर पार्टी हाईकमान को अपनी रिपोर्ट भेज रहे हैं।
पिछले दिनों पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी संवाददाताओं से चर्चा के दौरान माना था कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने जो सचिव नियुक्त कर भेजे हैं, वे विकासखंड स्तर पर जाकर संगठन को मजबूत कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने मंदसौर के मंच से पहले भारत की जनता, दूसरे स्थान पर कार्यकर्ता और फिर नेताओं का जिक्र करके यह तो संकेत दे ही दिया है कि पार्टी में कार्यकर्ताओं की हैसियत बढ़ेगी। इसका इशारा उन्होंने मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस के प्रभारी रहे केशव यादव को युवक कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर भी दिया है।
राजनीति के जानकारों की मानें तो वास्तव में राज्य के नेता भी राहुल की राह पर चले और कार्यकर्ता को महत्व मिले तो कांग्रेस एक बार फिर ताकतवर बनकर उभर सकती है, मगर राज्य के कई नेता ऐसे हैं, जिनके लिए कार्यकर्ता नहीं, अपना दरबारी ज्यादा प्यारा है। यही कारण है कि तमाम पदाधिकारियों से लेकर जिलाध्यक्ष के पदों पर वे लोग बैठे हैं, जिनकी न तो राजनीतिक समझ अच्छी है और न ही कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पैठ है।
कई जिलाध्यक्ष तो ऐसे हैं, जिन्हें अरुण यादव साढ़े चार साल प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए निष्क्रिय बताते रहे और हटा नहीं पाए, अब कमलनाथ आए हैं और वह भी उन पर अपना डंडा नहीं चला पा रहे हैं।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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