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बिजनेस

रिलायंस, मित्सुई ने समझौते पर हस्ताक्षर किए

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मुंबई| रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को कहा कि उसने जापान की सबसे बड़ी जहाजरानी कंपनी मित्सुई ओएसके लाइंस के साथ उत्तर अमेरिका से भारत में तरल ईथेन लाने के लिए दीर्घ अवधि के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा जारी बयान के मुताबिक मित्सुई छह वेरी लार्ज ईथेन कैरियर (वीएलईसी) के निर्माण कार्य का पर्यवेक्षण करेगी और इनके निर्माण और आपूर्ति होने के बाद इन जहाजों का प्रबंधन भी करेगी।

मित्सुई ने एक अलग बयान में कहा कि जहाजों का निर्माण सैमसंग हैवी इंडस्ट्रीज करेगी और इसकी आपूर्ति 2016 की आखिरी तिमाही तक हो सकती है। उत्तरी अमेरिका में ईथेन का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज अमेरिकी संयुक्त उपक्रम कंपनी से हर साल 15 लाख टन ईथेन मंगवाना चाहती है, जिसकी आपूर्ति गुजरात में रसायनिक परिसर में किया जाएगा।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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