मुख्य समाचार
लोकायुक्त की रिपोर्टों पर कुंडली मारकर बैठी यूपी सरकार : नाइक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने एक बार फिर राज्य सरकार पर परोक्ष प्रहार करते हुए कहा कि लोकायुक्त की रपटों पर राज्य सरकार कुंडली मारकर बैठी हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस रवैये से काफी दुख होता है। बुधवार को नाइक ने राजभवन में यह बात कही। उन्होंने बुधवार को ‘राजभवन में राम नाइक’ नामक एक पुस्तिका का विमोचन भी किया। इस पुस्तिका में उन्होंने अपने एक वर्ष के कार्यकाल का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है।
राज्यपाल ने लोकायुक्त की रपटों को लेकर कहा, “लोकायुक्त ने 24 मामलों में अपनी रपटें दी हैं। इन रपटों के आधार पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजा गया, लेकिन दुख की बात है कि राज्य सरकार ने केवल चार में ही कार्रवाई की है, बाकी 20 प्रत्यावेदनों को लेकर उसका कोई जवाब नहीं आया है।” नाइक ने कहा कि बड़ी मेहनत के बाद तो लोकायुक्त किसी मामले की जांच कर रपट तैयार करता है, लेकिन जब उस रपट पर सरकार संज्ञान नहीं लेती है तो उसकी सारी मेहनत बेकार हो जाती है।
राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करते हुए विधान परिषद की रिक्त नौ सीटों में से केवल चार नामों को ही मंजूरी प्रदान की है। बाकी पांच नामों को लेकर कुछ आपत्तियां प्राप्त हुई हैं और उनपर राज्य सरकार से जानकारी मांगी गई है। नाइक ने कहा, “भारत के संविधान के अनुसार विधान परिषद में जाने वाले सदस्य ऐसे होने चाहिए जिन्होंने साहित्य, कला, विज्ञान के क्षेत्र में समाज सेवा की हो।”
नाइक ने उप्र में नए लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार के रुख पर दुख प्रकट किया। उन्होंने कहा कि 24 अप्रैल, 2014 को ही सर्वोच्च न्यायालय ने छह माह के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति करने की बात कही थी, लेकिन सरकार अभी तक नियुक्ति नहीं कर पाई है। राज्यपाल ने कहा, “उप्र में नए लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर मैंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, मुख्यमंत्री तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को पत्र लिखकर इस मसले पर कार्यवाही करने का अनुरोध किया है। लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी होना काफी दुखद है।”
नाइक ने कहा कि बीते एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार की ओर से 11 अध्यादेश अनुमोदन के लिए भेजे गए, लेकिन उन्होंने नौ अध्यादेशों पर अपनी सहमति प्रदान की, जबकि दो अध्यादेशों पर उन्होंने सहमति प्रदान करने से इंकार कर दिया। राज्यपाल ने कहा, “उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने व मुख्यमंत्री को सैफई स्थित चिकित्सा विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्ति किए जाने संबंधी अध्यादेश को अनुमति प्रदान नहीं की।”
नाइक ने स्पष्ट किया कि उप्र अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने से सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना होती, जबकि मुख्यमंत्री को चिकित्सा विश्वविद्यालय का कुलाधिपति घोषित करने से विश्वविद्यालय की स्वायत्तता प्रभावित होती।
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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग
नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।
विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।
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