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वरिष्ठ वकील का दर्जा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तय किए मानक

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अब वकीलों को वरिष्ठ वकील के तौर पर नियुक्ति का फैसला भारत के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति लेगी। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपने निर्णय में बताया कि मुख्य न्यायाधीश के अलावा, दो और वरिष्ठ वकील समिति के सदस्य होंगे।

आदेश के अनुसार, अटॉर्नी जनरल और सर्वोच्च न्यायालय बार का नामित सदस्य भी इस समिति का हिस्सा होगा, जिसका अपना एक स्थायी सचिवालय होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही वरिष्ठ वकील के पद के लिए मानदंड प्रक्रिया दोबारा तय कर दी थी। इसमें वकीलों के प्रदर्शन, मामले के निपटारे की संख्या, विशेषीकृत क्षेत्र और व्यक्तित्व भी शामिल है।

हाईकोर्ट के मामले में कमेटी की अध्यक्षता संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करेंगे। इसके अलावा दो वरिष्ठ न्यायाधीश और एडवोकेट जनरल होंगे। ये चारो सदस्य मिल कर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के एक सदस्य को नामित करेंगे।

वरिष्ठ वकील के पद के लिए आवेदन प्रक्रिया व चयनित वकीलों की सूची बनाने के बाद सचिवालय इसे स्थायी समिति के पास भेजेगा। उसके बाद स्थायी समिति इच्छुक उम्मीदवारों को साक्षात्कार और व्यक्तित्व परीक्षा के लिए बुलाएगा।

अदालत ने यह फैसला वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह के वकीलों के वरिष्ठ वकील बनने के लिए मानदंड प्रक्रिया को दोबारा तय करने संबंधी याचिका के बाद दिया है।

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की हार पर बोलीं कंगना रनौत, उनका वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था

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मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में शामिल पार्टियों को चारों खाने चित कर दिया है। महाराष्ट्र में पार्टी की प्रचंड जीत पर बीजेपी की सांसद कंगना रनौत काफी खुश हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की हार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कंगना ने कहा कि महिलाओं का अपमान करने की वजह से उनका ये हश्र हुआ है। मुझे उनकी हार का अनुमान पहले से ही था।

कंगना रनौत ने कहा, “मुझे उद्धव ठाकरे की हार का अनुमान पहले ही था। जो लोग महिलाओं का अपमान करते हैं, वे राक्षस हैं और उनका भी वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था। वे हार गए, उन्होंने महिलाओं का अपमान किया। मेरा घर तोड़ दिया और मेरे खिलाफ अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया, इसलिए यह स्पष्ट है कि वे सही और गलत की समझ खो चुके हैं।

बता दें कि कंगना रनौत और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के बीच 2020 में तब कड़वाहट भरी झड़प हुई थी, जब तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उनके बांद्रा स्थित बंगले में कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था। अपने बंगले में तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले रनौत ने यह भी कहा था कि उन्हें “मूवी माफिया” से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगता है और उन्होंने महाराष्ट्र की राजधानी की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी।

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