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विश्व विज्ञान समारोह में नासा के उपग्रहों को देखने का मौका

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न्यूयॉर्क | अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यहां आयोजित होने वाले विश्व विज्ञान समारोह में ‘नासा ऑर्बिट मंडल’ की शुरुआत की है, जहां आगंतुकों को नासा के विभिन्न उपग्रहों को देखने का अवसर मिलेगा। वेबसाइट ‘स्पेस डॉट कॉम’ के मुताबिक, विज्ञान विश्व समारोह में नासा के पवैलियन में घुसते ही लहरों और क्रिकेट की आवाजें सुनाई देती है। ये आवाजें सभी दिशाओं से आती हैं।

नासा के दृश्य रणनीतिकार डैन गुड्स का कहना है, “ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि नासा पृथ्वी का भी अध्ययन करती है। अंतरिक्ष से भूविज्ञान का अध्ययन करना अच्छा है, क्योंकि उस समय आपके पास एक भौगोलिक दृश्य होगा।” इस पेशकश के दौरान नासा के प्रस्तुतकर्ता ने बाताय कि इन उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा।

इसके बाद वक्ताओं ने रॉकेट के प्रक्षेपित होने की ध्वनि बजाई। अंत में नासा के उन उपग्रहों के नामों की घोषणा की गई, जो पृथ्वी और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) का अध्ययन कर रहे हैं। आठवां वार्षिक विश्व विज्ञान समारोह रविवार को समाप्त हो रहा है।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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