Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

विश्व हिंदी सम्मेलन में साहित्यकारों को ही न्योता नहीं

Published

on

Loading

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में होने जा रहे 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन से साहित्यकारों को दूर रखे जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पद्मश्री से लेकर राष्ट्रीय स्तर के साहित्य पुरस्कार पा चुके साहित्यकार भी समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर सरकार का यह बर्ताव क्यों और किस वजह से है।

राजधानी भोपाल में 10 से 12 सितम्बर तक विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। आयोजकों के अनुसार, इसमें लगभग पांच हजार विद्वानों के आने की संभावना है। देश और दुनिया में इसके लिए निमंत्रण भी भेजे जा चुके हैं, लेकिन भोपाल निवासी पद्मश्री और साहित्य सम्मान प्राप्त विद्वानों की अब तक कोई खबर नहीं ली गई है। उन्हें न तो तैयारियों के दौरान विचार-विमर्श के लिए बुलाया गया है और न ही उन्हें आमंत्रण देना ही मुनासिब समझा गया है।

साहित्यकार राम प्रकाश त्रिपाठी ने कहा, “केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा जोर अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को लुभाने पर है।” सम्मेलन में राजनीतिक दखलंदाजी के सवाल पर उन्होंने कहा, “शिक्षा, भाषा सब कुछ राजनीति नियोजित होता है, लेकिन यह आयोजन संकीर्णता वाला है। भाषा का अहम घटक साहित्य होता है, लेकिन इस सम्मेलन से साहित्य को ही दूर रखा जा रहा है।”

भोपाल में साहित्यकारों और रचनाकारों की बस्ती ‘निराला नगर’ है। यहां ध्रुव शुक्ल, रामप्रकाश त्रिपाठी, राजेश जोशी, मेहरुन्निशा परवेज, राजेश शाह, विजय बहादुर जैसी नामचीन साहित्यिक हस्तियां रहती हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी अब तक सम्मेलन का बुलावा नहीं मिला है। वरिष्ठ साहित्यकार ध्रुव शुक्ल ने कहा, “राजनीति ने कभी भी भाषा को ताकतवर नहीं बनाया है। किसी भाषा की ताकत साहित्य होता है। किसी भी शासन ने भाषा को ताकत नहीं दी है। इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी शासन और राजनीति का भाषा में दखल बढ़ा है, उस भाषा में संवाद ही कम हुआ है और भाषा के नाम पर विवाद हुए हैं।”

राज्य के अन्य इलाकों के साहित्यकारों ने भी सम्मेलन का बुलावा न मिलने पर नाराजगी जताई है। सम्मेलन के आयोजन में अहम भूमिका निभा रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक पदाधिकारी ने साहित्यकारों की उपेक्षा के सवाल पर नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि यह सम्मेलन साहित्यकारों का नहीं, बल्कि ‘विद्वानों’ का है।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

Published

on

By

Loading

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

Continue Reading

Trending