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विहिप बैठक में राम मंदिर, गौ-रक्षा मंत्रालय पर हुआ मंथन : आलोक कुमार

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नई दिल्ली, 25 जून (आईएएनएस)| विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की केन्द्रीय प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक में यहां राम मंदिर, गौ-रक्षा मंत्रालय, विदेशी घुसपैठ और सामाजिक समरसता सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। विहिप की तरफ से सोमवार को जारी बयान के अनुसार, संगठन के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बैठक के समापन पर कहा कि पूरे देश के सभी राज्यों से आए लगभग 250 प्रतिनिधियों ने श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण, गौ-रक्षा, गौ-संवर्धन, सामाजिक समरसता, रोहिंग्या व बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ, पड़ोसी देशों में हिन्दू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, सेवा कार्यों के विस्तार, महिला स्वावलम्बन व सुरक्षा के अलावा छद्म धर्म-निरपेक्षता वादियों के षड़यंत्रों पर खुलकर चर्चा की।

बयान के अनुसार, कुमार ने कहा कि विहिप देश में पैदा हुए सभी धर्मो के लोगों का साझा मंच है, और अपने विविध कार्यो के माध्यम से विहिप इनकी एकता, समरसता व विकास हेतु प्रयत्नशील है।

बयान में कहा गया है कि विहिप की प्रबंध समिति ने संकल्प लिया है कि अनुसूचित जाति व जनजातियों के सशक्तिकरण हेतु उनके आर्थिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य व सामाजिक क्षेत्रों के विकास के लिए वहां चल रहे सेवा कार्यों का विस्तार किया जाएगा। फिलहाल देश के लगभग 62 हजार ग्रामों में एकल विद्यालय चल रहे हैं, तथा आगामी दौ वर्षों में यह संख्या एक लाख के पार पहुंचाने का अभियान चलाया जाएगा।

आलोक कुमार ने कहा, भारतीय समाज के गहरे परस्पर संबंधों को तोड़ने हेतु कुछ नापाक शक्तियां प्रयासरत हैं, जो एक-एक कर बेपर्दा होती जा रहीं हैं। इनके प्रयासों को हम कभी सफल नहीं होने देंगे।

उन्होंने कहा, जिन राज्यों में गौहत्या या गौवंश की तस्करी पर कानूनी प्रतिबंध है, वहां के विहिप कार्यकर्ता तो कानून सम्मत तरीके से गौ-रक्षा कर ही रहे हैं, वहां के अन्य नागरिकों से भी हम अपेक्षा करते हैं कि वे कानून की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए आगे आएं।

बयान के अनुसार, बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने अपने पहले प्रस्ताव में देश की कृषि, कृषक, पर्यावरण, गौवंश, संविधान तथा महात्मा गांधी के स्वराज्य की भावना का सम्मान करते हुए उडुपी में हुई धर्म संसद में संतों के आदेशानुसार केन्द्र व राज्य सरकारों से पृथक भारतीय गौवंश रक्षण संवर्धन मंत्रालय बनाने की मांग की।

दूसरे प्रस्ताव में विहिप की प्रबंध समिति ने देश में बढ़ती रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या को आंतरिक व बाह्य सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए घुसपैठ की समस्या से निपटने हेतु कानून बनाने, भारत-बांग्लादेश सीमा सील करने, बीएसएफ के साथ अन्य सुरक्षा एजेंसी तैनात करने तथा संसदीय समिति के गठन तथा घुसपैठियों को अविलंब वापस भेजने की जहां सरकार से मांग की, वहीं जनता से भी इस संदर्भ में सजग रहकर इन घुसपैठियों का आर्थिक-सामाजिक बहिष्कार कर पुलिस-प्रशासन को सौंपने की अपील की।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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