हेल्थ
व्रत के दौरान फूड पॉयजनिंग से बचें
नई दिल्ली| क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्र के दौरान नौ दिन का व्रत क्यों रखा जाता है| व्रत रखने से शरीर के पाचनतंत्र को आराम मिलता है और शरीर का शुद्धिकरण भी हो जाता है। मगर इन दिनों फूड पॉयजनिंग की आशंका भी रहती है। कम कैलोरी और कम मसालों वाला भोजन खाने से शरीर को वह अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती जो वह आम दिनों में करता है। लेकिन जब व्रत के दिनों में आलू और कट्टू के पकौड़े जैसी तली और वसायुक्त चीजें खाते हैं तो व्रत का मकसद ही खत्म हो जाता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ के.के. अग्रवाल ने बताया नवरात्रों के दौरान लोगों के पास खाने की चीजों के बहुत सीमित विकल्प होते हैं, जिनमें बस कुट्टू और सिंघाड़े का आटा शामिल होता है। जो लोग व्रत रख रहे हैं, हम उन्हें अत्यधिक मात्रा में तरल आहार लेने की सलाह देते हैं, ताकि ऊर्जा बनी रहे और डिहाइड्रेशन से बचा जा सके।
उन्होंने कहा कि पिछले साल के बचे हुए कुट्टू और सिंघाड़े के आटे का प्रयोग न करें, क्योंकि वह दूषित हो सकता है और उसे खाने से डायरिया होने की संभावना होती है। फल काफी मात्रा में खाएं, लेकिन बर्फी, लड्डू और आलू फ्राई जैसी तली और अत्यधिक चीनी वाली चीजें खाने से दस्त हो सकते हैं।
व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान :
* सिंघाड़े के आटे का प्रयोग करें। सिंघाड़ा अनाज नहीं, बल्कि फल होता है जिसे सूखे हुए सिंघाड़ों से बनाया जाता है, इसलिए इसे नवरात्र में अनाज की जगह प्रयोग किया जा सकता है। प्रति 100 ग्राम में यह 115 कैलोरी देता है, इसलिए यह ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत है।
* पानी में पलने वाली सिंघाड़े की बेल में विशेष आकार के फल लगते हैं। फल या मेवे को उबाल कर या कच्चे ही स्नैक्स की तरह खाया जा सकता है।
* सिंघाड़े का आटा बनाने से पहले इसे उबाल कर, छीलकर और सुखा कर बनाया जाता है। इस वजह से इसके दूषित होने की संभावना नहीं बचती।
* सिंघाड़ों में काबरेहाइड्रेट्स की शुद्ध मात्रा बहुत कम होती है। इसे कम कार्बोहाइड्रेट्स वाली कई खुराकों में शामिल किया जाता है। इसमें आम मेवों जैसी चर्बी भी नहीं होती। इनमें सफेद आटे की तुलना में भी कम कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं।
* सिंघाड़ा के आटे से बनने वाली तली हुई पूरियां या परांठे से परहेज करें।
* अच्छे ब्रांड का उच्च गुणवत्ता का आटा ही लें, पिछले साल के बचे हुए आटे से फूड पॉयजनिंग हो सकती है।
* सिंघाड़े की रोटी बनाते वक्त उच्च ट्रांस फैट वाला तेल प्रयोग न करें।
* जितने ज्यादा हो सकें फल खाएं, व्रत रखने वालों के लिए फल सबसे बेहतर विक्लप होते हैं।
* शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए पानी और फलों का रस अत्यधिक मात्रा में पीते रहें।
हेल्थ
दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.
एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.
डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।
डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।
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