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शिवराज सरकार को आईना दिखाते बुंदेलखंड के भगीरथ

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टीकमगढ़, 8 जून (आईएएनएस)| बुंदेलखंड भीषण जल संकट से जूझ रहा है, यहां एक-एक बूंद पानी के लिए मारा-मारी मची हुई है। मानसून की आहट से पहले शिवराज सरकार भले ही न जागी हो, मगर यहां के लोग जाग गए हैं और उन्होंने लगभग हजार साल पुराने एक तालाब की तस्वीर बदलने की ठान ली है।

बुंदेलखंड के इन भगीरथों का यह प्रयास सार्थक रूप लेने लगा है, इस तालाब से लगभग 8,000 ट्रैक्टर ट्रॉली से मिट्टी निकाली जा चुकी है।

टीकमगढ़ जिले के जतारा विकासखंड में आता है अचर्रा गांव। यह गांव उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसा है। यहां का एक ऐतिहासिक चंदेलकालीन तालाब सैकड़ों परिवारों की जिंदगी का हिस्सा रहा है। लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में फैला यह तालाब वक्त गुजरने के साथ सिल्ट (गाद या मिट्टी) जाम होते जाने के कारण जल संग्रहण क्षमता लगातार खोता जा रहा था। इस साल तेा तालाब का बड़ा हिस्सा सूख चुका था।

तालाब की कम होती जल संग्रहण क्षमता के चलते जहां एक ओर आम आदमी की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी, वही मवेशियों को भी पीने केा पर्याप्त पानी आसानी से नसीब नहीं हो रहा था। ऐसे में गांव वालों ने समाज सेवी संस्था ‘परमार्थ’ के साथ मिलकर तालाब सफाई की योजना बनाई। यह योजना धीरे-धीरे आकार लेने लगी। संस्था के मानवेंद्र सिंह परमार ने नदी संवर्धन यात्रा भी निकाली।

पिछले दस दिनों से इस तालाब की सफाई का अभियान चल रहा है। यहां के किसान रहीस यादव का कहना है, तालाब की मिट्टी उनके खेतों के लिए किसी खाद से कम नहीं है, यही कारण है कि, वे ट्रॉली में भरकर मिट्टी को अपने खेतों में डाल रहे हैं, इससे एक तरफ जहां तालाब का गहरीकरण हो रहा है, वहीं दूसरी ओर खेतों को खाद स्वरूप मिट्टी मिल रही है।

वे आगे बताते हैं कि तालाब की एक ट्रॉली मिट्टी भरवाने पर जेसीबी मशीन वाले को सौ रुपये अथवा मजदूरों को 150 रुपय देना होते हैं, यह मिट्टी खेत के लिए बड़ी उपयोगी है, एक एकड़ में छह से सात ट्रॉली मिट्टी डाली जा रही है।

टीकमगढ़ जिले के मोहनगढ़-हथेरी मार्ग पर स्थित है अचर्रा गांव। इसकी आबादी लगभग 4500 के आसपास है। इस तालाब से 80 मछुआरा परिवारों की आजीविका चलती है, मगर जल संग्रहण क्षमता कम होने से आम आदमी की जिंदगी पर बड़ा असर पड़ा है।

जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह का कहना है, गांव के किसानों का यह प्रयास भगीरथी प्रयास है, जो एक तालाब की तस्वीर बदल रहा है, अब तक लगभग 8000 ट्रैक्टर ट्रॉली मिट्टी तालाब से निकाली जा चुकी है, यह अभियान अभी जारी है। इसके चलते तालाब की जल संग्रहण क्षमता में इजाफा होगा और इस बार की बारिश से तालाब में पिछले सालों के मुकाबले कहीं ज्यादा पानी आएगा।

किसान विमलेश यादव बताते हैं कि इस तालाब से प्रतिदिन औसतन 300 से ज्यादा ट्रैक्टर ट्रॉली मिट्टी निकाली जा रही है। कई किसान तो ऐसे हैं जो दिन में कई कई ट्रॉली मिट्टी अपने खेतों में डाल रहे हैं। इससे तालाब की सफाई हो रही है, वहीं खेतों को खाद मिल रही है, इसके उपयोग के चलते खेतों की उर्वरकता बढ़ेगी और उत्पादन 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।

इस तालाब की मिट्टी केा अचर्रा ही नहीं पास के अन्य गांव हनौता टपरियन कुंवरपुरा केशवगढ़ के किसान भी ले जा रहे हैं। किसान सोभरन सिंह दाऊ और प्रेम नारायण दाऊ कहते हैं, प्रदेश की सरकार से उन्हें बड़ी उम्मीदें थीं, मगर यह सरकार सिर्फ बोलती है, करती कुछ नहीं। किसान परेशान है, पानी की समस्या है, तालाबों का बुरा हाल है, मुख्यमंत्री घोषणाएं खूब करते हैं मगर यहां के तालाब में कोई काम नहीं कराया। किसान और गांव वाले अपने प्रयासों से यह काम करा रहे हैं।

बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिले आते हैं। इस इलाके में कभी 9000 से ज्यादा तालाब हुआ करते थे, मगर आज मुश्किल से दो हजार तालाब ही अस्तित्व में बचे हैं। सरकार हर साल बरसात से पहले नए तालाब बनाने की बात करती है, मगर इस इलाके की धरोहर तालाबों पर ध्यान नहीं दिया जाता।

बुंदेलखंड के भगीरथों ने एक तालाब की तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाकर सरकार को आईना दिखाने का काम किया है, अब देखना होगा कि सरकार इस अभियान से जागती है या अब भी सोती रहती है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस भी बुंदेलखंड की पेयजल समस्या पर फिलहाल मौन साधे हुई है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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