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IANS News

संसदीय समिति ने स्वास्थ्य सेवा योजना पर जताई चिंता

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नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)| मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में गरीब परिवारों की स्वास्थ्य बीमा के लिए बजटीय आवंटन के आधे हिस्से भी कम रकम जारी की है, जबकि सरकार ने वादा किया है कि वह दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम के तौर पर इसे पेश करेगी।

संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) के लिए 975 करोड़ रुपये का राजस्व आवंटन घटकर 565 करोड़ रुपये हो गया, जबकि असल रकम महज 450 करोड़ रुपये रिलीज की गई, जो अनुमानित बजट के आधे से भी कम है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, आरएसबीवाई के तहत लगभग 450 करोड़ रुपये के प्रीमियम की केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में फंड केवल ऐसे राज्यों के लिए जारी किए गए हैं, जिन्होंने वर्ष 2017-18 के दौरान अपने प्रस्ताव सौंपे थे।

हालांकि, यह प्रस्ताव अभी भी कैबिनेट के पास लंबित है, इसलिए ऐसे राज्य जो नई योजना के पेश होने का इंतजार कर रहे थे, उन्होंने कोई प्रस्ताव नहीं सौंपा और इस बीच आरएसबीवाई योजना को लागू होने से रोक दिया।

यहां तक कि योजना के लंबित रहने से प्रस्तावित योजना के एक लाख रुपये की बढ़ाई गई कवर के साथ कार्यालय परिसर की स्थापना के लिए साल 2017-18 में पूंजी प्रयोजन के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित करने पर भी इसका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ।

आरएसबीवाई ने सिर्फ 30,000 रुपये की सीमित कवरेज उपलब्ध कराई और इसे बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का प्रस्ताव भी दिया गया, चूंकि सरकार के लिए स्वास्थ्य देखभाल योजना को कार्यान्वित करना मुश्किल साबित हो रहा है, इसने पिछले महीने 2018-19 के केंद्रीय बजट के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य देखभाल योजना शुरू करने की घोषणा की।

प्रस्तावित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (एनएचपीएस), जो आरएसबीवाई को शामिल करेगा, इसके अंतर्गत 10 करोड़ गरीब और कमजोर परविार आएंगे और आगे इसके कवरेज का विस्तार कर हर साल प्रति परिवार पांच लाख रुपये कर दिया जाएगा।

हालांकि, संसदीय स्थायी समिति ने संभावित विफलता को लेकर चेतावनी दी है।

समिति के मुताबिक, आरएसबीवाई में नामांकन बहुत कम रहा था। सिर्फ 57 फीसदी योग्य पात्र नाामंकित हुए और 12 फीसदी से भी कम योग्य लोगों को आरएसबीवाई के जरिए अस्पताल में भर्ती होने पर सहायता राशि मिला।

आरएसबीवाई के संबंध में विभिन्न अध्ययनों की एक विस्तृत समीक्षा का हवाला देते हुए समिति ने कहा कि अधिकांश राज्यों (14 में से आठ) में आरएसबीवाई संबंधित खर्च में वृद्धि हुई, जबकि 14 में से सिर्फ दो अध्ययनों में खर्च में कमी दर्शायी गई।

इसमें आगे जिक्र किया गया है कि कई राज्यों ने राज्य द्वारा संचालिय योजनाओं के पक्ष में आरएसबीवाई को चुना है। आरएसबीवाई की विफलताओं का विश्लेषण करने के लिए सरकार को एक समिति बनानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस कमी के कारण आरएसबीवाई के संचालन और कार्यान्वयन में परेशानी आ रही है, वह दोबारा न हो।

पैनल ने देखा कि नई योजना पूर्व योजना का ही संशोधित रूप है क्योंकि एनएचपीएस के अंतर्गत प्रस्तावित आधे से ज्यादा लक्षित लाभार्थियों को मौजूदा सहायक सराकरी योजनाओं के तहत पहले ही शामिल किया जा चुका है।

संसदीय पैनल ने कहा, अगर बहिरंग मरीजों को इसमें शामिल किया जाता है, तो उनके संबंध में वास्तव में क्या कदम उठाए गए हैं, इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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