अन्तर्राष्ट्रीय
सऊदी अरब के राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव में भारत को सम्मान
रियाद, 6 फरवरी (आईएएनएस)| सऊदी अरब के राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव ‘अल जनादरिया’ में भारत इस साल ‘सम्मानित अतिथि’ (गेस्ट आफ ऑनर) देश के तौर पर शामिल हो रहा है।
इस उत्सव का उद्घाटन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बुधवार को रियाद के निकट करने जा रही हैं। इस उत्सव की शुरुआत सत्तारूढ़ शाह के संरक्षण में 1985 में हुई थी। इस साल भी राजा सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद उत्सव के संरक्षक हैं। यह खाड़ी का सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव है, जो 3.2 करोड़ लोगों के तेल समृद्ध देश के जीवन व विरासत को प्रस्तुत करता है।
दो सप्ताह तक चलने वाले उत्सव में कई तरह की चित्रकारी, व्यंजन, संगीत, बौद्धिक चर्चाओं के दौर चलेंगे।
इस साल उत्सव का 32वां संस्करण है। इसे हर साल सऊदी नेशनल गॉर्ड द्वारा आयोजित किया जाता है। इस उत्सव का प्रमुख लक्ष्य सऊदी अरब की इस्लामिक पहचान को उजागर करना है, साथ ही राष्ट्रीय विरासत को प्रदर्शित करना और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसके संरक्षण में सहायता करना है।
अल जनादरिया केवल सऊदी नागरिकों को ही अपनी संस्कृति से अवगत कराने के लिए नहीं है, यह दूसरे देशों की संस्कृति से जुड़ने की भी एक कवायद है। इसी के तहत हर साल एक देश को इसके ‘गेस्ट आफ ऑनर’ के रूप में नामित किया जाता है। जिस देश को यह सम्मान दिया जाता है, उसकी सांस्कृतिक विरासत को इस उत्सव में प्रदर्शित किया जाता है। इस साल यह सम्मान भारत को मिला है।
इस प्रतिष्ठित उत्सव में भारत को आमंत्रित करना सऊदी अरब व भारत के बढ़ते रिश्तों का साक्षी है।
इसमें भाग लेने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक बड़े प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही है। इसमें विदेश राज्य मंत्री वी.के.सिंह के साथ भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के सदस्य भी शामिल हैं, जो जनादरिया उत्सव में भारतीय मंडप के उद्योग व कार्यान्वयन के साझीदार हैं।
इस उत्सव का नाम सऊदी अरब की राष्ट्रीय राजधानी के बाहर स्थित जगह के नाम पर रखा गया है, जहां यह आयोजित होता है।
अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात
नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।
मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।
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