लाइफ स्टाइल
सर्दियों में बालों की ऐसे करें देखभाल
नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)| सर्दियों के मौसम में तापमान में गिरावट होने और ठंडी हवाओं के चलने से बालों में रूखापन आ जाता है। प्राकृतिक तेल और नमी चली जाती है, जिससे बाल रूखे और बेजान नजर आते हैं, इसलिए बालों की उचित देखभाल बेहद जरूरी है। ‘द बॉडी शॉप इंडिया’ की प्रमुख (ट्रेनिंग) शिखी अग्रवाल और सौंदर्य विशेषज्ञ ब्लॉसम कोचर ने सर्दियों के दौरान बालों की देखभाल के संबंध में ये सुझाव दिए हैं :
* दो मुंहे व रूखे बालों से छुटकारा पाने के लिए सर्दियों में हर कुछ हफ्ते पर नियमित रूप से ट्रिमिंग कराएं।
* बालों में मौजूद अतिरिक्त तेलों से छुटकारा पाने के लिए ड्राइ शैम्पू का इस्तेमाल करें। यह बालों में प्राकृतिक ऑयल को बनाए रखता है और अतिरिक्त तैलीयपन को दूर करता है।
* बार-बार शैम्पू करने से बालों से नमी और प्राकृतिक तेल का सुरक्षात्मक लेयर निकल जाता है, इसलिए शैम्पू कम करें। गीले बालों में कंघी न करें, क्योंकि इससे बाल ज्यादा टूटते हैं।
* हेयर स्क्रब का इस्तेमाल करें। इसके इस्तेमाल से सिर की मृत त्वचा निकल जाती है और बाल मुलायम हो जाते हैं। फिर इसे पानी से धो लें।
* बालों की कंडीशनिंग जरूर करें, इससे बाल मुलायम और मजबूत बनते हैं। बालों पर कंडीशनर पांच मिनट तक लगाए रखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें।
सिल्की व मुलायम बालों के लिए आप हेयर मास्क का इस्तेमल भी कर सकती हैं। बालों में चौड़े दांत वाले कंघी का इस्तेमाल करें, ताकि कंडीशनर पूरे बालों को अच्छे से कवर कर ले।
रूसी से बचाव के उपाय :
* मृत त्वचा और फ्लेक्स निकालने के लिए बाल में अच्छे से कंघी करें और सिर पर रूसी को कंट्रोल में करने वाले लोशन को लगाए। 7-10 मिनट तक हल्के हाथों से मसाज करें।
* एक कटोरी में एंटी डैंड्रफ शैम्पू को लेकर उसमें थोड़ा पानी मिलाए। अब इस मिश्रण को रूई के फाहे से बालों पर लगाएं। बालों पर पानी स्प्रे करके हल्के हाथों से 10 मिनट तक मसाज करें। बालों को 10 मिनट और शावर कैप में रखे और फिर पानी से धो लें।
* शैम्पू के बाद बालों को तौलिएं से पोंछकर सुखा लें और फिर बालों के सिरों पर एंटी डैंड्रफ कंट्रोल कंडीशनर लगाएं। दो मिनट तक लगाए रहने के बाद पानी से धो लें।
* डैंड्रफ कंट्रोल कॉन्सन्ट्रेट को पूरे सिर पर अच्छी तरह से लगाकर हल्के हाथों से धीरे-धीरे मसाज करें और इसे लगा रहने दें।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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