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खेल-कूद

सहवाग मैदान के बाहर अपने अस्तित्व से अनजान थे : गांगुली

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कोलकाता, 25 नवंबर (आईएएनएस)| मैदान पर वीरेंद्र सहवाग को सुनील गावस्कर के बाद टेस्ट में भारत का सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज बताने वाले पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि दिल्ली का यह तूफानी बल्लेबाज मैदान के बाहर अपने अस्तित्व से अनजान था। गांगुली ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट-2017 में शुक्रवार को कहा, मैं बड़े आराम से काम करने वाला शख्स हूं, लेकिन जब मैं 2000 में कप्तान बना, तब मुझे लगा की इस टीम को चीजें दूसरी तरह से करनी होगी। भारतीय होने के नाते हम आराम पसंद इंसान हैं।

पूर्व कप्तान ने कहा, मेरी टीम में सहवाग था, जो मेरी नजरों में सुनील गावस्कर के बाद भारत के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट सलामी बल्लेबाज हैं, लेकिन मैदान के बाहर एक इंसान के तौर पर वह जानते ही नहीं थे कि उनका भी कोई अस्तित्व है। वह सोते रहते थे और आपको टेस्ट मैच से पहले उन्हें बार-बार जबरदस्ती करते हुए जगाना पड़ता था।

गांगुली जब भारतीय टीम के कप्तान बने थे, तब भारत मैच फिक्सिंग विवाद से जूझ रहा था। गांगुली की कप्तानी की सबसे अच्छी बात यह रही कि उन्होंने एक ऐसी टीम तैयार की जो एक टीम के तौर पर काफी मजबूत थी।

उनकी कप्तानी में भारत ने विदेशों में पहले से ज्यादा मैच और सीरीज जीतीं।

गांगुली ने 49 टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी की, जिनमें से 21 में जीत 13 में हार मिली। वह भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान भी थे। उनके इस रिकार्ड को बाद में महेंद्र सिंह धौनी ने तोड़ा।

गांगुली की कप्तानी में ही भारत ने 2003 में आईसीसी विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन आस्ट्रेलिया से हार गई थी।

गांगुली ने कहा, जब भारत 2001 में आस्ट्रेलिया में खेल रहा था तब मैंने देखा की यह अलग टीम है और लड़ने के लिए तैयार है। इसलिए एक कप्तान के तौर पर मुझे मैदान पर वो माहौल बनाना था जिसकी शुरुआत मुझसे होनी थी।

गांगुली ने कहा कि टीम चयन पहले की अपेक्षा अब ज्यादा पारदर्शी हो गया है।

उन्होंने कहा, चयन प्रक्रिया अब पहले से ज्याता पारदर्शी हो गई है। आप जब अब की भारतीय टीम को देखते हैं और विराट कोहली जैसे ईमानदार तथा जुनूनी कप्तान को देखते हैं तो आप को पता चलता है कि यह कितना पारदर्शी है।

गांगुली ने कहा, वह खिलाड़ियों को ध्यान से देखते हैं। हर कोई गलती करता है जो मान्य भी होती है। आप परिणाम देख सकते हैं कि भारत किस तरह से आगे बढ़ रहा है। मैंने जब 1996 में क्रिकेट शुरू की थी तब क्रिकेट अलग थी। यह खेल दिन ब दिन बेहतर होता जा रहा है।

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खेल-कूद

महानतम मुक्केबाजों में शुमार माइक टाइसन को यूट्यूबर जेक पॉल के हाथों से मिली हार

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नई दिल्ली। दुनिया के महानतम मुक्केबाजों में शुमार माइक टाइसन को शनिवार को हाई प्रोफाइल फाइट में यूट्यूबर जेक पॉल के हाथों हार मिली। टाइसन 19 साल बाद दिग्गज और प्रोफेशनल बॉक्सर मुकाबला खेलते उतरे थे। वहीं 27 साल के जेक पॉल यूट्यूबर और इन्फलूएंसर हैं जो अब पेशेवर मुक्केबाज बन गए हैं।

टाइसन और पॉल के बीच यह फाइट 8 राउंड तक चला था। टाइसन ने पहला राउंड 10-9 से अपने नाम किया। दूसरे राउंड में वह 10-9 से जीते। तीसरा राउंड पॉल ने 10-9 से अपने नाम किया। चौथे राउंड के स्कोर बराबरी पर था। इसके बाद सभी राउंड पॉल ने अपने नाम किए। मैच जीतने के बाद पॉल ने टाइसन के सामने झुक कर उनका सम्मान भी किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टाइसन को यह फाइट खेलने के लिए 20 मिलियन डॉलर (एक अरब 68 करोड़ रुपए) दिए गए हैं। यानी मैच हारने के बावजूद भी टाइसन को लगभग एक अरब रुपए मिलेंगे।

माइक टाइसन ने अपनी पारंपरिक गाने और ड्रेस के साथ ली एंट्री

उन्होंने अपनी एंट्री फिल कोलिन्स के “इन द एयर टुनाइट” गाने के साथ की। इसके बाद टायसन अपनी पारंपरिक काली पोंचो पहने हुए आए। वे बैकग्राउंड में “वी डोंट गिव ए एफ.” गाना बजाते हुए रिंग में पहुंचे। मैच की शुरुआत रेफरी मार्क कैलो-ओय द्वारा पारंपरिक घोषणाओं के साथ हुई। पॉल ने ब्लू कॉर्नर से शुरुआत की और टायसन ने रेड कॉर्नर से। इस मुकाबले को जज के एकतरफ फैसले के कारण जेक पॉल ने जीत लिया। पॉल ने टायसन पर जीत दर्ज की, क्योंकि जजों ने मुकाबले में उनके पक्ष में 80-72, 79-73, 79-73 अंक दिए।

 

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