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साइबर सुरक्षा में ऑस्ट्रेलिया की मदद ले सकता है भारत

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नई दिल्ली | भारत सरकार का उद्देश्य जहां ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देना है, ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां साइबर सुरक्षा से जुड़े खतरों के समाधान में मदद कर सकती है। ऑस्ट्रेलियाई व्यापार और निवेश आयोग (ऑस्ट्रेड) के वरिष्ठ व्यापार और निवेश आयुक्त जॉन मैडू ने प्रौद्योगिकी और नवाचार तथा भारतीय आईटी सेक्टर के बीच संबंधों का विस्तार करने के लिए छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 21-24 नवंबर भारत का दौरा किया।

मैडू ने यहां संवाददाताओं को बताया, “भारतीय आईटी कंपनियों को साइबर सुरक्षा में ऑस्ट्रेलिया की उन्नत क्षमताओं के बारे में अधिक जानने के लिए और कैसे वे अपनी आपूर्ति श्रृंखला में ऑस्ट्रेलियाई साइबर सुरक्षा समाधान को एकीकृत कर पाए और उन्हें अपने वैश्विक ग्राहकों के लिए पेश किया। यह मिशन एक उत्कृष्ट अवसर है।”

भारत, आस्ट्रेलिया का पांचवां सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया ने कुल 13.5 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर के माल और सेवाओं का भारत को निर्यात किया।

2015 में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच 19.8 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ। भारत का आस्ट्रेलिया में कुल 11.6 अरब डॉलर का विदेशी निवेश है, जबकि ऑस्ट्रेलिया का भारत में 1.5 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर विदेशी निवेश है।

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ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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