उत्तराखंड
पीएम का पुतला फूंकने वालों की सही जगह पागलखाने में : साध्वी प्राची
हरिद्वार। दशहरा के अवसर पर जेएनयू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंके जाने के बाद बयानबाजी का नया दौर शुरू हो गया है। एनएसयूआई पर हमला बोलते हुए विहिप की फायर ब्रांड नेत्री साध्वी प्राची ने कहा कि जेएनयू में देशभक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंकने वालों की मानसिकता का पता चलता है की वे किस स्तर के लोग हंै। उन्होंने कहा ही कि हमें इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि वे मानसिक रोगी है और ऐसे लोगों की ऐसी ही हरकतें हो सकती हैं।
गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आज के राम हैं और उनके अनुज की भूमिका लखन के रूप में अमित शाह हैं। लंका दहन करने का कार्य करने वाले हनुमान के रूप में राजनाथ सिंह और इस पूरी व्यवस्था के चाणक्य के रूप में स्वामी रामदेव भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव ने स्वदेशी को अपनाने का सन्देश देकर विदेशी कंपनियों को शीर्षासन करवा दिया। साथ ही देश का पैसा देश में ही लगाने का रास्ता दिखाया। ऐसे लोगों के साथ जेएनयू में ऐसी हरकत करके उन्होंने अपनी मानसिकता का परिचय दिया है। इस पर हमें ज्यादा तब्बजों नहीं देनी चाहिए, बल्कि ऐसे लोगों को पागलखाने में डाल देना चाहिए।
साध्वी प्राची ने कहा कि जब से जेएनयू में कन्हैया कांड हुआ। उससे पहले से ही जेएनयू देशद्रोहियों का अड्डा बना हुआ है। ऐसे लोगों को पागलखाने डाल देना चाहिए और जेएनयू को बंद कर देना चहिये।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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