हेल्थ
साबिक, ब्लडकनेक्ट का रक्तदान पर जोर
दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)| ब्लड कनेक्ट फाउंडेशन के सहयोग से सऊदी अरब की पेट्रोकेमिकल कंपनी साबिक ने दिल्ली, गुड़गांव, बेंगलुरू, मुंबई और चेन्नई में 2017 के अगस्त से 2018 के मार्च तक सालाना रक्तदान अभियान आयोजित किया। कंपनी ने एक बयान में कहा कि सहकारी सामाजिक दायित्व के तहत की गई पहल से साबिक का लक्ष्य स्वास्थ्य रक्षा को बढ़ावा देना और लोगों की जिंदगी बचाना है। अभियान के तहत एकत्र किए गए रक्त को हिंदू राव और दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल समेत दिल्ली-एनसीआर में सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंकों को दी जाएगी। इस रक्तदान अभियान का लक्ष्य सरकारी अस्पतालों के लिए 2,500 यूनिट रक्त एकत्र करना था और इस लक्ष्य को पार करते हुए 4,250 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया।
कंपनी ने कहा है कि स्थानीय एनजीओ पार्टनर, जिसमें ब्लडकनेक्ट भी शामिल है, के सहयोग से चार शहरों में विभिन्न ऑफिसों के पास रक्तदान शिविर लगाए गए। इसके अलावा चारों शहरों की आवासीय कॉलोनियों में रहने वालों को रक्तदान कर लोगों की जिंदगी बचाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रेडिजेंट वेलफेयर कॉलोनियों में कैंप लगाए गए। गुड़गांव के एंबियंस मॉल में अंतिम रक्तदान शिविर लगाया गया।
साबिक दक्षिण एशिया और एएनजेड के उपाध्यक्ष और क्षेत्रीय प्रमुख, जनार्दन रमनउजालु ने कहा, यह पांचवा साल है, जब साबिक ने रक्तदान शिविर लगाया था। भारत में सरकारी अस्पतालों के ब्लडबैंक खून की कमी का जबर्दस्त सामना कर रहे हैं। इस पहल से हमने इस कमी को दूर करने में मदद की है। इसके साथ ही इन शिविरों से जरूरतमंद लोगों को काफी मदद मिली है। हम अपने इस प्रयास को जारी रखेंगे और आगामी सालों में इस तरह के कई अन्य अभियान चलाएंगे।
हिंदू राव अस्पताल में ब्लड स्टॉक इंचार्ज डॉ. विजय कुमार सोनी ने इन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, पिछले चार सालों से जरूरतमंद लोगों के लिए रक्त की आवश्यकता और ब्लडबैंकों में खून की उपलब्धता की कमी के बढ़ते अंतर को कम करने में की गई मदद के लिए साबिक के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए।
ब्लडकनेक्ट फाउंडेशन के दिल्ली-एनसीआर के अध्यक्ष रेयश कादयान ने कहा, जिस तरह का प्रतिसाद हमें मिल रहा है, उससे हम काफी खुश हैं। लोग अब रक्तदान करने के लिए आगे आ रहे हैं।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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