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सिसोदिया का आरोप-दिल्ली में इमरजेंसी जैसे हालात, राजनाथ ने नकारा
नई दिल्ली/लखनऊ। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी के बाद आप सरकार ने मंगलवार को उपराज्यपाल नजीब जंग पर आरोप लगाया कि वह आपातकाल जैसे हालात पैदा कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि निहित स्वार्थी लोग आप सरकार के भ्रष्टाचार रोधी अभियान के कारण इसके खिलाफ एकजुट हो गए हैं लेकिन उन्होंने संकल्प लिया कि आप झुकेगी नहीं। वहीं मंगलवार को अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तोमर की गिरफ्तारी में मंत्रालय का हाथ होने की बात से पूरी तरह इन्कार किया। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय किसी की गिरफ्तारी का आदेश नही देता।
सिसोदिया ने कहा कि तोमर की कथित फर्जी डिग्री का मुद्दा अदालत में है, फिर भी लगभग 40 पुलिसकर्मियों ने तोमर के कार्यालय में घुसकर उन्हें वहां से उठा लिया, जैसे कि वह कोई भगोड़ा हैं। दिल्ली पुलिस ने आप सरकार को नहीं, बल्कि उपराज्यपाल को और केंद्रीय गृहमंत्रालय को सूचित किया। सिसोदिया ने कहा, “पुलिस ने तोमर से कहा कि वे कुछ दस्तावेज देखने आए हैं.. उन्होंने उनसे उनके साथ घर चलने के लिए कहा। रास्ते में उन्होंने उनके चालक से गाड़ी से उतर जाने के लिए कहा और उनके वाहन को अपने नियंत्रण में ले लिया और उनसे कहा कि वह हिरासत में हैं।”
सिसोदिया ने कहा, “उन्होंने तोमर से कहा कि वह किसी को दस्तावेज लेकर पुलिस थाने आने के लिए कह सकते हैं..” उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा, “यह सब क्या हो रहा है?” खिन्न सिसोदिया ने कहा, “क्या वह (तोमर) भाग रहे थे? यहां आपातकाल जैसे हालात हैं। यह लोकतंत्र है.. (हम जो कर रहे हैं, उसके लिए) यह आप को सबक सिखाने की एक कोशिश हो सकती है।”
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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी
सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.
गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी
हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।
एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब
काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी, मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.
केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल
चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.
टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी
टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…
एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट
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