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बिजनेस

सीमेंस को मिला 450 करोड़ रुपये का ठेका

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मुंबई | भारी बिजली उपकरण कंपनी सीमेंस लिमिटेड को भारतीय रेल की एक इकाई से 450 करोड़ रुपये का एक ठेका मिला है। यह जानकारी कंपनी ने सोमवार को एक बयान जारी कर दी। कंपनी ने अपने बयान में बताया है कि उसके मोबिलिटी खंड को यह ठेका भारतीय रेल की वाराणसी स्थित कंपनी डीजल लोकोमोटिव वर्क्‍स से लोकोमोटिव उपकरण के लिए मिला है।

कंपनी डीजल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के लिए तीन चरणों वाली प्रणोदन प्रणाली – एसी-एसी ट्रैक्शन प्रणाली (लोकोमोटिव कंट्रोलर सहित) एवं तीन चरणों वाले ट्रैक्शन मोटर की आपूर्ति करेगी और उसकी स्थापना का पर्यवेक्षण भी करेगी। डीजल लोकोमोटिव वर्क्‍स हर साल 300 डीजल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का निर्माण करती है। कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि वह पिछले 60 सालों से अधिक समय से सुरक्षित और सक्षम रेल परिवहन सेवा देने में भारतीय रेल की साझेदार रही है।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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