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अन्तर्राष्ट्रीय

सुरक्षा परिषद में अधिक पारदर्शिता चाहता है भारत

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संयुक्त राष्ट्र| संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार और उसकी सदस्य संख्या बढ़ाने के अपने आग्रह पर जोर देते हुए भारत ने संस्था की कार्यप्रणाली में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और खुलेपन का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि सदस्य देशों को इस बारे में जानकारी मिलनी चाहिए कि परिषद के निर्णय कैसे लिए गए, किस संवेदनशीलता के साथ वे निर्णय लिए गए, और क्या परिषद की कार्य प्रक्रिया को अनवरत अपनाया गया या नहीं।

व्यापक मान्यता है कि आतंकवाद से निपटने के परिषद के मानक अलग-अलग हैं। इस मुद्दे पर मुखर्जी ने कहा कि इन मुद्दों से निपटने के लिए सदस्य देशों के साथ नियमित बातचीत सत्र आयोजित करना परिषद के लिए लाभकारी होगा। मुखर्जी ने उदाहरण के तौर पर विदेशी आतंकवादी लड़ाकों से संबंधित परिषद के सितंबर के प्रस्ताव और गुरुवार के एक अध्यक्षीय बयान, तथा आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त न करने की एक नीति पर सहमति का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, “हमें यह स्पष्ट नहीं है कि आतंकवाद से मुकाबले के तरीके तय करते समय परिषद के अंदर क्या कार्य प्रक्रिया अपनाई गई। जबकि आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने के लिए एक मात्र सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है।” मुखर्जी ने परिषद की निर्णय लेने की प्रक्रिया की गोपनीय शैली की ओर ध्यान खींचा और कहा कि यद्यपि जो देश परिषद के सदस्य नहीं हैं, उन्हें नियमानुसार संस्था की बहसों में हिस्सा लेने की अनुमति है, लेकिन परिषद के प्रस्ताव या अध्यक्षीय बयान उन देशों के दृष्टिकोण जाने बगैर पहले ही तय कर लिए जाते हैं।

मुखर्जी ने कहा, “इस वजह से हमारी भागीदारी महज प्रतीकात्मक रह जाती है।” मुखर्जी ने कहा कि परिषद की कार्यप्रणाली सुधारने के लिए परिषद का एक व्यापक सुधार, खासतौर से सदस्यता की दोनों श्रेणियों (स्थायी और अस्थायी) का विस्तार आवश्यक है, क्योंकि परिषद की निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक सदस्य देशों को शामिल करने से यह संस्था अधिक पारदर्शी, विश्वसनीय, वैध और प्रतिनिधिकारी होगी। चूंकि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में 8,000 से अधिक भारतीय कर्मी अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लिहाजा नई दिल्ली की विशेष चिंता इस बात को लेकर है कि परिषद उनकी तैनातियों को लेकर कैसे आदेश जारी करती है। मुखर्जी ने परिषद से आग्रह किया कि सैनिकों के योगदान के बारे में देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार परामर्श किया जाए।

अन्तर्राष्ट्रीय

लाहौर में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकार्ड, 1900 तक पहुंचा AQI, स्कूल बंद

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नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रदूषण ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान के लाहौर शहर का AQI 1900 पहुंच गया है जो शहर में अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है। प्रांतीय सरकार और स्विस समूह IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पाकिस्तान-भारत सीमा के पास अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। इसी के साथ लाहौर रविवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रियल टाइम सूची में पहले नंबर पर पहुंच गया।

बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लाहौर में आपातकाल जैसा माहौल है। वायु की खतरनाक गुणवत्ता को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने वर्क फ्रॉम होम करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभिन्न शहरों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वहीं पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा है कि, सरकार ने माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हुए प्राथमिक विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है कि बच्चे मास्क पहनें, क्योंकि शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए 50 प्रतिशत कार्यालय कर्मचारी घर से काम करेंगे।

मरियम औरंगजेब ने आगे कहा है कि पिछले एक सप्ताह से भारत से हवा की दिशा लाहौर की ओर हो गई है और इस वजह से धुंध बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हवाएं अमृतसर और चंडीगढ़ से आ रही हैं और इस वजह से लाहौर में AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है।
मरियम ने कहा है कि अगर हालत और खराब हुए तो शहर में उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। यहां तक कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ इसी तरह की कार्रवाई भारत की हरियाणा और पंजाब सरकार भी कर रही है, जहां पराली जलाने को लेकर बड़ी संख्या में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।

 

 

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