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अन्तर्राष्ट्रीय

सोचि शांति वार्ता में हिस्सा नहीं लेगा सीरियाई विपक्ष

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वियना, 27 जनवरी (आईएएनएस)| सीरिया के सशस्त्र विपक्ष के सबसे बड़े गुट का प्रतिनिधित्व करने वाली एक समिति ने यहां ऑस्ट्रिया में यह घोषणा की है कि वह रूस के सोचि में अगले सप्ताह होने वाले सीरियाई शांति सम्मेलन में भाग नहीं लेगा।

सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित नौवें दौर की वार्ता के समापन के बाद विपक्ष की उच्च वार्ता समिति के प्रवक्ता ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी एफे को बताया, सोचि नहीं जाने का फैसला किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित वार्ता बिना किसी सार्थक प्रगति के समाप्त हो गई।

वियना में दो दिन बिताने वाले दमिश्क के विपक्षी नेता और सरकारी अधिकारियों ने आमाने-सामने मुलाकात नहीं की, बल्कि सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत स्टेफन डी मिस्तुरा के जरिए एक-दूसरे को प्रस्ताव भेजे।

राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार ने अमेरिका और सऊदी अरब पर सीरिया में राजनीतिक समाधान के प्रयास में अडं़गा लगाने का आरोप लगाया है, जहां मार्च 2011 में शुरू हुए गृह युद्ध में अब तक करीब 500,000 लोग जान गंवा चुके हैं।

मिस्तुरा ने संवाददाताओं को बताया कि इस बात का फैसला संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस करेंगे कि संयुक्त राष्ट्र अगले हफ्ते सोचि में होने वाले ‘सीरियन नेशनल डायलॉग कांग्रेस’ में हिस्सा लेगा या नहीं।

एक रूसी अधिकारी ने कहा कि सोचि वार्ता का मुख्य एजेंडा सीरिया के लिए नए संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन करना होगा।

असद सरकार और सीरियाई विपक्ष के प्रमुख लोगों के अलावा रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्यों – अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन और साथ ही मिस्र, जॉर्डन, इराक, कजाकिस्तान, लेबनान और सऊदी अरब से सम्मलेन में प्रतिनिधि भेजने का आग्रह किया है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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