प्रादेशिक
सौर घोटाले पर केरल में फिर राजनीतिक उबाल
तिरुवनंतपुरम| सौर घोटाले के आरोपियों के एक वकील का एक फूटेज टीवी चैनलों पर प्रसारित होने के बाद केरल में विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ओमन चांडी के इस्तीफे की फिर मांग की है। फूटेज में वकील चांडी और उनके मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगियों के बारे में बात कर रहा है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब घोटाले के दो आरोपियों -सरिता नायर और उनके लिव इन पार्टनर बीजू राधाकृष्णन- को पथनामथित्ता की एक अदालत ने एक दिन पहले धोखाधड़ी के एक मामले में तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई और 1.20 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
शुक्रवार को एक समाचार चैनल ने नायर के वकील फेनी बालकृष्णन का एक फूटेज प्रसारित किया है। खुफिया कैमरे में कैद इस फूटेज में फेनी को यह कहते सुना और देखा जा सकता है कि चांडी, उनके मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगियों और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने मामले का निपटारा करने के लिए नायर को रुपये दिए थे।
माकपा की राज्य इकाई के सचिव कोडियारी बालकृष्णन ने संवददाताओं से कहा कि चांडी को इस्तीफा दे देना चाहिए।
बालकृष्णन ने कहा, “चांडी, उनके मंत्रिमंडल सहयोगी राजस्व मंत्री अदूर प्रकाश और पूर्व कांग्रेस विधायक थंपानूर रवि के खिलाफ नए खुलासे होने के चलते उनके खिलाफ नया मामला दर्ज होना चाहिए और चांडी को इस्तीफा देना चाहिए। अधिवक्ता के मुताबिक, थंपानूर रवि ने नायर को रुपये सौंपने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।”
केरल में 27 जून को अरुविकारा निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव होना है।
मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा, “मैं नए फूटेज के बारे में पहली बार सुन रहा हूं। इस तरह का कभी भी कुछ नहीं हुआ है। गुरुवार को आए अदालत के फैसले के बाद से कुछ लोग नाखुश हैं और इसीलिए नई बातें सामने आने लगी हैं।”
उन्होंने कहा, “पूरी मीडिया में कहा जा रहा है कि आरोपी ने मेरे द्वारा लिखे एक पत्र का प्रयोग किया, जबकि अदालत ने कहा कि यह एक फर्जी पत्र है। बावजूद इसके मीडिया में ज्यादातर लोगों ने इस बिंदु को नजरअंदाज कर दिया। क्या यही नैतिक पत्रकारिता है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुवार को आया अदालत का फैसला कांग्रेस सरकार की जीत है।
2013 में सात करोड़ रुपये के सौर पैनल घोटाले के कारण ओमन चांडी सरकार उस समय खतरे में आ गई थी, जब उनके कर्मचारियों के तीन सदस्यों के नायर के साथ रिश्ते की बात सामने आई थी। चांडी ने हालांकि तीनों को बर्खास्त कर दिया था।
उत्तर प्रदेश
निराश्रित बच्चों के लिए सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण बनाने में जुटी योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला कल्याण विभाग ने बच्चों के सर्वांगीण विकास और सुरक्षा के लिए एक नई और महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत राज्य के विभिन्न जनपदों में 10 नए बाल संरक्षण गृहों का निर्माण और संचालन किया जाएगा। इन संरक्षण गृहों का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है, जहाँ वे अच्छे नागरिक के रूप में विकसित हो सकें।
वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या समेत 10 जिलों में बनेंगे नए बाल संरक्षण गृह
महिला कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तावित इस योजना के अनुसार, प्रदेश के मथुरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, आजमगढ़, झांसी, अमेठी, फिजाबाद, देवरिया, सुल्तानपुर, तथा ललितपुर में इन संरक्षण गृहों की स्थापना की जाएगी। हर संरक्षण गृह में 100-100 बच्चों को रखने की क्षमता होगी, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को लाभान्वित किया जा सके। इनमें 1 राजकीय बाल गृह(बालिका) 1 राजकीय बाल गृह (बालक), 7 राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर), किशोर न्याय बोर्ड सहित 1 प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह शामिल है। इन संरक्षण गृहों में बच्चों को न केवल रहने की सुविधाएं दी जाएंगी, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास का भी ध्यान रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुरूप महिला एवं बाल विकास विभाग इन संरक्षण गृहों की स्थापना से असहाय और संवेदनशील बच्चों को एक नया जीवन देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इन गृहों में बच्चों को एक संरक्षित वातावरण में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और जीवन कौशल जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम
इस योजना के तहत राज्य सरकार ने बाल संरक्षण गृहों के निर्माण के लिए आवश्यक फंड भी निर्धारित किए हैं। सभी गृहों का निर्माण योगी सरकार अपने बजट से करेगी। वहीं इन गृहों के संचालन में केंद्र सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के प्राविधानों के केंद्रांश-60 प्रतिशत और राज्यांश-40 प्रतिशत के अनुसार राज्य सरकार पर 7.96 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। योजना के सफल संचालन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन गृहों का निर्माण और प्रबंधन गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कंसल्टेंट्स का चयन भी किया है, ताकि इन बाल संरक्षण गृहों में दी जाने वाली सेवाओं का उच्चतम स्तर सुनिश्चित किया जा सके।
बाल अधिकारों की रक्षा में सीएम योगी का सशक्त प्रयास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य है कि राज्य का कोई भी बच्चा असुरक्षित या उपेक्षित महसूस न करे। सीएम योगी ने कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि वे समाज के भविष्य हैं। इस योजना के तहत बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी, जो उनकी सुरक्षा और कल्याण के प्रति संजीदा होंगे। इन बाल संरक्षण गृहों में बच्चों को उनकी उम्र और जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाएंगी, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
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