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‘स्लोगन बाबा’ ने गंगा प्रेमियों को भी ठगा : राजेंद्र सिंह (साक्षात्कार)

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भोपाल, 10 जनवरी (आईएएनएस)| लगभग पौने चार वर्षो में केंद्र सरकार गंगा नदी की अविरलता और इसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कोई सार्थक काम कर पाने में नाकाम रही। इससे गंगा प्रेमी नाराज हैं। दुनिया में ‘जलपुरुष’ के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह का तो यहां तक कहना है कि ‘स्लोगन बाबा (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने गंगा प्रेमियों को भी ठगने में कसर नहीं छोड़ी है।’

स्टॉकहोम वॉटर प्राइज से सम्मानित राजेंद्र सिंह ने आईएएनएस से फोन पर चर्चा के दौरान कहा, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जब केंद्र में नई सरकार आई थी, तो इस बात की आस बंधी थी कि गंगा नदी का रूप व स्वरूप बदलेगा, क्योंकि प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था- ‘गंगा मां ने मुझे बुलाया है।’ उनकी इस बात पर प्रो. जी.डी. गुप्ता, नदी प्रेमी और संत समाज शांत होकर बैठ गया था, बीते पौने चार साल के कार्यकाल को देखें तो पता चलता है कि केंद्र सरकार ने अपने उन वादों को ही भुला दिया है, जो चुनाव के दौरान किए गए थे, अब तो सरकार गंगा माई का नाम ही नहीं लेती।

बीते पौने चार वर्ष तक गंगा प्रेमियों के किसी तरह की आवाज न उठाने के सवाल पर राजेंद्र सिंह ने कहा, सभी गंगा प्रेमियों को इस बात का भरोसा था कि नई सरकार वही करेगी, जो उसने चुनाव से पहले कहा था। मगर वैसा कुछ नहीं हुआ। तीन साल तक इंतजार किया, अब गंगा प्रेमियों में बेचैनी है, क्योंकि जो वादा किया गया था, उसके ठीक उलट हो रहा है।

उन्होंने कहा, गंगा पर बैराज बनाए जा रहे हैं, गंदे नाले मिल रहे हैं, इससे गंगा तो और खत्म होने के कगार पर पहुंच जाएगी। लिहाजा, अब तो वर्तमान सरकार पुरानी सरकार से ज्यादा संवेदनहीन दिखाई देने लगी है।

‘जलपुरुष’ ने याद दिलाया कि वर्तमान सरकार ने नोटीफिकेशन कर गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया था, मगर गंगा को वैसा सम्मान नहीं मिला, जैसा प्रोटोकॉल के तहत मिलना चाहिए था। गंगा को वही सम्मान दिया जाए, जो राष्ट्रंीय ध्वज को दिया जाता है।

सरकार आखिर गंगा की अविरलता के लिए काम क्यों नहीं कर रही? इस सवाल पर राजेंद्र सिंह ने कहा, उन्हें लगता है कि गंगा माई की सफाई में कोई कमाई नहीं हो सकती, इसलिए उस काम को किया ही न जाए। ऐसा सरकार से जुड़े लोगों ने सोचा। छोटे-छोटे काम भी अपने दल से जुड़े लोगों को ही दिया गया है।

अपनी मांगों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, रिवर और सीवर को अलग-अलग किया जाए, हिमालय से गंगासागर तक गंगा को साफ किया जाए, गंगा के दोनों ओर की जमीन का संरक्षण हो, न कि विकास के नाम पर उद्योगपतियों को सौंपने की साजिश रची जाए।

राजेंद्र सिंह का आरोप है, कुछ पाखंडी गुरुओं ने नदियों की जमीन पर पौधरोपण करने के नाम पर सरकारों से जमीन और पैसे पाने के लिए सहमतिपत्र तैयार किए हैं। यह संकट पुराने संकट से बड़ा है, क्योंकि इसमें किसानी की जमीन बड़े औद्योगिक घरानों को दिलाने का षड्यंत्र नजर आता है। इस षड्यंत्र के बारे में भी गंगा के किसानों को बताना जरूरी है। इस सब संकटों के समाधान के लिए गंगा प्रेमी एक साथ बैठकर चर्चा करने की तैयारी में हैं।

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नेशनल

रेलवे बोर्ड ने अपने सभी जोन के लिए जारी किया निर्देश, ट्रेन में या ट्रेन की पटरियों पर रील बनाने वालों के खिलाफ दर्ज होगा केस

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नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड ने अपने सभी जोन के लिए निर्देश जारी कर कहा है कि रेल सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने पर केस दर्ज किया जाएगा। यानी अगर कोई शख्स ट्रेन में या ट्रेन की पटरियों पर रील बनाएगा तो उसके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल लोग सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए रेल और रेल की पटरियों पर रील बनाते हैं। कई जगह ये भी देखा गया है कि रील बनाते-बनाते लोग चलती ट्रेन से घायल भी हुए हैं। युवाओं में खासकर यह क्रेज है कि वह रेलवे की पटरियों पर जाकर एक्शन रील बनाते हैं या फिर कुछ एक्सपेरिमेंट करते हैं, जैसेकि ट्रेन की पटरी पर पत्थर रख दिया या कोई सामान रख दिया। इस तरह की रील बनाने वाले लोग खुद के साथ-साथ रेल यात्रियों की जिंदगी भी खतरे में डालते हैं।

ऐसे में रेल पटरियों और चलती ट्रेनों में रील बनाने को लेकर सरकार सख्त रवैया अपना रही है। ऐसा करने पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। रेलवे बोर्ड ने इस मामले में अपने सभी जोन को निर्देश दिया है, जिसमें कहा गया है कि अगर रील बनाने वाले सुरक्षित रेल परिचालन के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं या कोचों या रेल परिसरों में यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बनते हैं तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।

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