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स्वर साम्राज्ञी लता ने राज्यसभा के वेतन का चेक तक नहीं छुआ!

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भोपाल, 6 अप्रैल (आईएएनएस)| महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर इन दिनों राज्यसभा के सांसद के तौर पर छह साल में मिले वेतन-भत्तों की राशि (90 लाख रुपये) प्रधानमंत्री कोष में जमा करने को लेकर चर्चा में हैं, मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि स्वर साम्राज्ञी और भारतरत्न से सम्मानित लता मंगेशकर ने तो वेतन-भत्तों के चेक को छुआ तक नहीं था।

लता मंगेशकर वर्ष 1999 से 2005 तक राज्यसभा की मनोनीत संसद सदस्य रही हैं। इस दौरान उन्होंने न तो वेतन लिया और न ही भत्ते। इतना ही नहीं, जब उन्हें चेक भेजे गए तो वहां से वापस आ गए। यह खुलासा हुआ है, सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से।

मध्य प्रदेश के नीमच जिले के निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने सूचना के अधिकार के तहत राज्यसभा के सचिवालय से जानकारी मांगी थी कि कई प्रतिष्ठित लोगों को राज्यसभा में मनोनीत किया गया। उनमें से कोई ऐसा है जिसने वेतन-भत्तों को आहरित करने से मना किया हो। सचिवालय की ओर से जो जानकारी उन्हें मिली है, उसमें कहा गया है कि लता मंगेशकर के वेतन से संबंधित मामले में वेतन-लेखा कार्यालय से मंगेशकर को भेजे गए वेतन के चेक वापस आ गए।

राज्यसभा की ओर से दी गई जानकारी में यह भी कहा गया है कि लता मंगेशकर द्वारा आहरित चेकों के वापस आने की सूचना वेतन-लेखा कार्यालय से संबंधित शाखा को प्राप्त नहीं हुई है। लता मंगेशकर ने पेंशन के लिए भी आवेदन नहीं किया है।

राज्यसभा के सचिवालय ने यह भी माना है कि उसे किसी पूर्व सदस्य की ओर से पेंशन आहरित करने की अस्वीकृति व्यक्त करते हुए कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसे किसी भी पूर्व सदस्य का ब्योरा उपलब्ध नहीं है जो पेंशन न ले रहे हों।

गौड़ के मुताबिक, उनके मन में लगभग ढाई साल पहले एक जिज्ञासा थी कि क्या कोई राज्यसभा सदस्य ऐसा है, जिसने वेतन तक न लिया हो, इसके लिए उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। जो जानकारी आई, उसमें लता मंगेशकर का नाम आया, जिन्होंने वेतन के चेक को छुआ तक नहीं और लौटा दिया।

गौड़ आगे कहते हैं कि सचिन तेंदुलकर द्वारा वेतन भत्तों की 90 लाख रुपये की रकम प्रधानमंत्री कोष में जमा करना एक प्रशंसनीय और अनुकरणीय कार्य है। वहीं वे लोग भी गुमनाम हैं, जिन्होंने वेतन का चेक तक स्वीकार नहीं किया और पेंशन के लिए आवेदन भी नहीं किया। वास्तव में लता जितनी बड़ी गायिका हैं, उतना ही बड़ा उनका नैतिक बल और दिल भी है।

क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर द्वारा 90 लाख रुपये की राशि प्रधानमंत्री कोष में जमा किए जाने की तो हर तरफ चर्चा है, मगर लता मंगेशकर ने तो चेक तक नहीं लिया था, इससे देश बेखबर है। सूचना के अधिकार के तहत सामने आई जानकारी ने लता मंगेशकर को और बड़ा बना दिया है।

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महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

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महाकुम्भनगर|  महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।

हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

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