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बिजनेस

स्वीमिंग पूल को प्रदूषित न करें : आईएमए

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नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)| इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि स्वीमिंग पूल से आने वाली जिस गंध को लोग क्लोरीन की गंध समझते हैं, अक्सर वह विभिन्न रसायनों की गंध होती है, जो क्लोरीन में मूत्र, मल, पसीना और धूल मिलने से उत्पन्न होते हैं। आईएमए के अनुसार, पूल में नहाने के बाद यदि आपकी आंखों में लालिमा और जलन महसूस हो तो यह क्लोरीन की वजह से नहीं, बल्कि मूत्र की वजह से हो सकती है। इससे रासायनिक एलर्जी भी हो सकती है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, क्लोरीन जब मूत्र के संपर्क में आती है तो अमोनिया तैयार होता है, जिसे क्लोरामाइन कहते हैं। इसकी एक खास गंध होती है और यह श्वसन संबंधी समस्याओं के अलावा आंखों में संक्रमण भी पैदा कर सकता है।

उन्होंने कहा, डायरिया से पीड़ित लोग क्लोरीन का असर खत्म करने वाले एक परजीवी- क्रिप्टोस्पोरिडियम को भी पानी में फैला सकते हैं, जो नियमित रूप से पूल में नहाने वालों में जलजनित रोगांे का कारण बनता है। पूल में डायरिया के लिए जिम्मेदार कुछ जीवाणु भी हो सकते हैं, जो वहां कुछ मिनट से लेकर कई दिनों तक जीवित रहते हैं।

डॉ. अग्रवाल ने कहा, एक बार प्रदूषित होने के बाद पूल के इस पानी को यदि किसी ने थोड़ा सा भी निगल लिया तो उसे संक्रमण हो सकता है। मूत्र में मौजूद नाइट्रोजन युक्त रसायनों को निष्क्रिय करने के लिए पूल में और अधिक क्लोरीन डालने की जरूरत हो सकती है।

आईएमए प्रमुख ने कहा कि यह आवश्यक है कि पूल में नहाते वक्त आप स्विमिंग गॉगल्स का प्रयोग करें। आजकल पानी की शुद्धता जांचने के लिए टेस्ट स्ट्रिप्स भी मिलती हैं, जिनसे रसायनों का स्तर परखा जा सकता है। पानी से निकलने के बाद आंखों में लुब्रिकेंट की कुछ बूंदें डालने से जलन कम की जा सकती है।

उन्होंने बताया, इनडोर पूलों में अधिक खतरा रहता है, क्योंकि जलन उत्पन्न करने वाले रसायन आसपास की हवा में घुलकर खांसी, चक्कर और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में अस्थमा उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसे में सभी की जिम्मेदारी होती है कि पूल प्रयोग करते समय उसे स्वच्छ रखने की कोशिश करें।

पूल की स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें :

* तेज दरुगध पर ध्यान दें। साफ स्वच्छ पूल के आसपास तीव्र गंध नहीं आनी चाहिए।

* पानी को ध्यान से देंखे कि उसमें किसी तरह की गंदगी तो नहीं।

* पानी के अंदर मूत्र त्याग न करें और अपने बच्चों को भी यह बात समझाएं।

* पानी को मुंह में न लें, न ही निगलें।

* डायरिया होने पर पूल में न जाएं।

* पूल से बाहर आकर तत्काल नहा लें।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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