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मुख्य समाचार

2017 में 6.85 करोड़ लोग विस्थापन को मजबूर हुए : संयुक्त राष्ट्र

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जेनेवा, 19 जून (आईएएनएस)| दुनिया भर में युद्ध, अन्य हिंसाओं और अत्याचार के कारण विस्थापन के लिए मजबूर हुए लोगों की संख्या 2017 में एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई।

2017 में 6.85 करोड़ लोग विस्थापन को मजबूर हुए, जो पिछले साल के मुकाबले 29 लाख ज्यादा थे। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर ने मंगलवार को यह जानकारी दी। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने कहा, इसमें लगातार पांचवें साल वृद्धि दर्ज की गई और साथ ही यह तब की सबसे ज्यादा संख्या वाला वर्ष है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा, इस विस्थापन का नेतृत्व डेमोक्रेटिक रीपब्लिक ऑफ द कांगो, दक्षिणी सूडान के युद्ध और म्यांमार के हजारों की संख्या में बांग्लादेश भागे रोहिंग्या शरणार्थियों ने किया।

यूएनएचसीआर ने कहा, इससे विकासशील देश जबर्दस्त ढंग से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शरणार्थियों पर नया वैश्विक समझौता महत्वपूर्ण था जब उन्होंने वार्षिक रिपोर्ट जारी की थी।

यह रिपोर्ट विश्व शरणार्थी दिवस की शाम को जारी की गई। यह दिवस 20 जून को मनाया जाता है ताकि शरणार्थियों की ताकत का जश्न मनाया जाए और सरकारों को उनके लिए मिलकर काम करने की याद दिलाई जाए।

यूएनएचसीआर ने अपनी सालाना ग्लोबल ट्रेंडस रिपोर्ट में कहा कि 2017 के अंत तक 6.85 करोड़ लोग विस्थापित हुए थे। संकट और अत्याचार के कारण अपना देश छोड़कर भागने वाले शरणार्थियों की संख्या कुल में 2.54 करोड़ थी।

2017 के दौरान 1.62 करोड़ लोग विस्थापित हुए थे, यह या तो पहली बार या फिर बार-बार विस्थापन का शिकार हुए। यह लोगों की एक बड़ी संख्या को दर्शाता है और इससे हर दिन करीब 44,500 लोगों के विस्थापित होने का संकेत मिलता है।

रिपोर्ट में कहा गया, संक्षेप में, दुनिया भर में विस्थापन के लिए मजबूर हुए लोगों की संख्या थाईलैंड की आबादी के समान है। सभी देशों में, हर 110 व्यक्तियों में से एक विस्थापित होता है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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