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राजस्थान Live: इन चार कारणों से पायलट के हाथ से निकल गया मुख्यमंत्री पद, आखिरी वजह हैरान कर देने वाली

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नई दिल्ली। राजस्थान में चुनावी नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए छिड़ी जंग शुक्रवार की शाम खत्म हो गई। इस रस्साकशी में युवा को अनुभव में आखिरकार मात दे दी।

हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने अंतिम समय तक संघर्ष किया लेकिन नतीजा गहलोत के पक्ष में आया है।

दो दिन में चली कई बैठकों के बाद अब यह तय  हो चुका है कि अशोक गहलोत एक बार फिर राजस्थान की कमान संभालेंगे वहीं सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री के पद पर नजर आएंगे। सीएम के एलान के बाद आज हम आपको ऐसी चार कारण बताने जा रहे हैं जिससे पायलट गहलोत से पिछड़ गए।

गहलोत को मिला विधायकों का समर्थन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 12 दिसंबर को जयपुर में पार्टी दफ्तर में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई, जिसमें गहलोत और पायलट दोनों ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा पेश किया था।

दोनों की दावेदारी को देखते हुए पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल ने फैसला किया कि विधायक पर्ची के जरिए अपने नेता का चयन करें। रिपोर्ट्स के मुताबिक 70 विधायकों ने गहलोत के पक्ष में वोट डाले साथ ही गहलोत ने यह भी दावा किया कि उनके पास 10 से अधिक निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है।

पूर्ण बहुमत नहीं मिलना सचिन को पड़ा भारी

कांग्रेस विधानसभा चुनाव में बहुमत से एक सीट कम 99 सीटें आई हैं। यह बात अशोक गहलोत के पक्ष में चली गई जहां गहलोत के पास दो बार मुख्यमंत्री रहने का तजुर्बा था वहीं सचिन उनके मुकाबले अभी युवा हैं यह दूसरी वजह थी कि गहलोत को पायलट के मुकाबले ज्यादा तरजीह दी गई।

गहलोत गुट ने यह दावा भी किया कि कुछ ही महीनों के अंदर लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में राज्य में एक ऐसी मजबूत सरकार चाहिए जो हर तरह के मामलों को सुलझा सके। किसानों से जुड़े मुद्दे, युवाओं और कई अन्य मामलों में तेज फैसले लेने की जरुरत है।

अनुभव में कमी

मुख्यमंत्री पद न मिलने की बड़ी वजह पायलट में अनुभव की कमी भी रही जहां एक ओर गहलोत के पास दो बार मुख्यमंत्री बनने और चीजों को अपने पक्ष में करने का अनुभव हैं वहीं पायलट अभी उनके मुकाबले काफी युवा हैं।

 सोनिया गांधी का पक्ष

मुख्यमंत्री पद को लेकर चली लंबी कवायद के इतर सच यह है कि गहलोत गांधी परिवार के पसंदीदा उम्मीदवार थे। सूत्र बताते हैं कि खुद सोनिया गांधी भी गहलोत के पक्ष में थीं। उन्होंने गहलोत को ही अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में फैसला लिया।

हालांकि गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद सचिन को उपमुख्यमंत्री पद ऑफर किया गया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

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गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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