हेल्थ
40 से पहले रजोनिवृत्ति से हड्डियों के टूटने का खतरा
न्यूयार्क| यदि आपमें रजोनिवृत्ति 40 वर्ष की उम्र से पहले होती है तो आपमें कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक के बाद भी हड्डियों के टूटने का खतरा ज्यादा है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। कैल्शियम और विटामिन डी को वर्षो से हड्डी के खनिज धनत्व को बढ़ाने में सक्षम माना जाता रहा है।
हॉर्मोन थेरिपी भी आस्टियोपोरोसिस को रोकने होने में कारगर मानी जाती रही है।
इस अध्ययन का प्रकाशन उत्तरी अमेरिकी मेनपाज सोसाइटी (एनएएमएस) की ऑनलाइन पत्रिका ‘मेनपॉज’ में किया गया है। इसमें जल्दी रजोनिवृत्ति का सामना करने वाली महिलाओं में हड्डियों के टूटने के खतरों और कैल्शियम, विटामिन डी और हार्मोन के प्रभाव का मूल्यांकन किया गया है।
इस अध्ययन के लिए करीब 22,000 महिलाओं का मूल्यांकन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 40 साल से कम उम्र में रजोनिवृत्त हो चुकी महिलाओं में हड्डियों के टूटने का खतरा 40, 49 और 50 के बाद रजोनिवृत्त वाली महिलाओं से बहुत ज्यादा है।
एनएएमएस के कार्यकारी निदेशक जोअन पिंकर्टन ने एक बयान में कहा, “यह अध्ययन बताता है कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को मरीजों में हड्डियों के टूटने के खतरों का मूल्यांकन करते समय महिला की रजोनिवृत्ति की उम्र पर भी ध्यान देने की जरूरत है। ”
पिंकर्टन ने कहा, “हड्डी को क्षति पहुंचने के जोखिम वाली महिलाओं को हर रोज 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम और इसके साथ ही उचित मात्रा में विटामिन डी की जरूरत होती है। इसे आहार के जरिए लिए जाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि पूरक आहार के तौर पर कैल्शियम की मात्रा महिलाओं में एथरोस्किलरोटिक पट्टिकाओं की वृद्धि कर सकती है। “
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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