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42 साल कोमा में रही नर्स अरुणा की मौत

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मुंबई । मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल में ज्यादती के बाद लगभग 42 वर्षो तक कोमा में रहीं नर्स अरुणा शानबाग ने सोमवार को अंतिम सांस ली। अरुणा के निधन की जानकारी केईएम के डीन अविनाश सुपे ने दी।

कोमा में जाने के बाद अरुणा के परिवार ने उन्हें अकेला छोड़ दिया था। वह इतने वर्षो से अस्पताल के वार्ड नं. 4ए के बेड पर पड़ी हुई थीं, जहां नर्से पूरे समर्पण के साथ उनकी देखभाल कर रही थीं। अरुणा करीब एक सप्ताह से निमोनिया एवं अन्य दिक्कतों से जूझ रही थीं। सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। उन पर उपचार का असर दिख रहा था। 60-65 वर्ष की अरुणा मूलरूप से कनार्टक के उत्तरी कनारा स्थित हल्दीपुर की रहने वाली थीं। उन्होंने सोमवार सुबह करीब 8.30 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरा अस्पताल विशेषकर नर्सिग स्टाफ शोक में डूब गया। केईएम के डीन सुपे ने बताया कि अरुणा का अंतिम संस्कार सोमवार को दिन में होना है। इसके लिए पुलिस से इजाजत ली जा रही है व अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।

उन्होंने आईएएनएस को बताया, “मैं सभी लोगों से अरुणा के किसी भी परिचित या उनके करीबी लोगों तक पहुंचने में मदद करने की अपील करता हूं। वे तुरंत अस्पताल से संपर्क कर सकते हैं। ऐसा करके आगे किसी भी उलझन से बचा जा सकता है, हालांकि आधिकारिक रूप से उनकी देखरेख करने वाले हम हैं।” उल्लेखनीय है कि केईएम अस्पताल में जूनियर नर्स का काम करने वाली अरुणा शानबाग 27 नवंबर, 1973 को ड्यूटी पर आई थीं। वहीं काम करने वाले एक संविदा सफाईकर्मी सोहनलाल बी. वाल्मीकि ने अरुणा को अकेले पाकर बदनीयत से उन पर हमला किया। उन्हें जंजीरों से बांधकर उनके साथ दुष्कर्म किया। यही नहीं, जंजीर से उनका गला घोंटने की कोशिश भी की, जिससे उनके मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक गई। नतीजतन, अरुणा की मस्तिष्क नलिका (ब्रेन स्टेम) चोटिल हो गई। उनकी ग्रीवा रज्जू (सर्विकल कॉर्ड) में भी गंभीर चोटें आई थीं। वह उसी दिन से कोमा में थीं।

उस वक्त उनकी उम्र बमुश्किल से 20 साल थीं। अरुणा उसी अस्पताल के एक चिकित्सक से शादी करने वाली थीं। पुलिस ने बाद में आरोपी पर लूटपाट और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया। आखिरकार उसे गिरफ्तार किया गया। उसे बाद में दोनों आरोपों का दोषी पाया गया और सात साल कारावास की सजा सुनाई गई। वह बाद में रिहा हो गया। माना जाता है कि तभी से वह दिल्ली में रह रहा है। अरुणा के पूर्व शिक्षक अनंत गायतोंडे, अरुणा को केईएम नर्सिग कॉलेज की नर्सिग की एक बहुत बुद्धिमान छात्रा के रूप में याद करते हैं।

उन्होंने रुं धे गले से आईएएनएस को बताया, “वह बहुत होनहार छात्रा थी। उसका व्यवहार हमेशा बहुत मददगार था..अपराधी को मामूली-सी सजा मिली, लेकिन उसे (अरुणा) अपनी पूरी जिंदगी सजा भुगतनी पड़ी।” दिसंबर 2010 में सेलिब्रिटी लेखिका-पत्रकार पिंकी विरानी ने अरुणा की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उनके लिए इच्छामृत्यु की मांग की थी।
मार्च 2011 में शीर्ष अदालत ने विरानी की याचिका खारिज कर दी थी।

नेशनल

लद्दाख में एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन का हुआ उद्घाटन, 4300 मीटर की ऊंचाई पर है स्थित

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लद्दाख। एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन, मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (एमएसीई) वेधशाला का लद्दाख के हानले में उद्घाटन किया गया है। इस दूरबीन से वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया कि 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दूरबीन दुनिया में इस तरह की सबसे ऊंची दूरबीन भी है। इस दूरबीन की मदद से अब वैज्ञानिक रिसर्च में और भी प्रगति होगी। इस दूरबीन को मुंबई स्थित BARC ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों की मदद से बनाया है और इसे स्वदेशी तरीके से बनाया गया है।

4 अक्तूबर को हुआ उद्घाटन

MACE वेधशाला का उद्घाटन DAE के प्लेटिनम जुबली वर्ष प्रोग्राम का एक हिस्सा था। 4 अक्तूबर को लद्दाख के हनले में डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट (MACE) वेधशाला का उद्घाटन किया। इसके उद्घाटन के बाद उन्होंने उन सभी कोशिशों की प्रशंसा भी की जिस कारण MACE दूरबीन सफल हुई।

 

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