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नेशनल

राज्यसभा में विपक्ष ने जेएनयू छात्रों के निष्कासन की निंदा की

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राज्यसभा में विपक्ष ने जेएनयू छात्रों के निष्कासन की निंदा की

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राज्यसभा में विपक्ष ने जेएनयू छात्रों के निष्कासन की निंदा की

नई दिल्ली| राज्यसभा में विपक्ष ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से तीन छात्रों के निष्कासन की कार्रवाई की निंदा की है। माकपा सदस्य तपन कुमार सेन ने सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए जेएनयू की इस दंडात्मक कार्रवाई को सरकारी संरक्षण में अति अहंकारपूर्ण और लोकतंत्र विरोधी कदम बताया।

सेन ने कहा, “उन्हें निष्कासित कर, उनके प्रवेश पर पांच साल की रोक लगा कर उनके शैक्षणिक करियर के खिलाफ अनुचित तरीके से प्रतिशोध लिया गया है। यह सब सरकार की योजना का हिस्सा है।”

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने सदन में इस मुद्दे पर समुचित बहस कराने की मांग की।

भाकपा नेता डी. राजा ने भी इस मुद्दे को उठाया।

राजा ने कहा, “जब इस तरह की चीजें जेएनयू में हो रही हैं तो यह सदन मूकदर्शक बना नहीं रह सकता है। यह बहुत ही द्वेषपूर्ण और बदले की कार्रवाई है।”

इस पर राज्यसभा के उपसभापति पी.जे. कुरियन ने कहा कि विश्वविद्यालय स्वायत्तशासी है।

उपसभापति के बयान का खंडन करते हुए सीताराम येचुरी ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना संसद के कानून के तहत हुई है।

विश्वविद्यालय की दंडात्मक कार्रवाई की निंदा कर रहे वाम दलों का सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने भी समर्थन किया।

इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, “विश्वविद्यालय का माहौल दूषित हो रहा है। इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय जिम्मेदार है।”

संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जेएनयू ने सोमवार को छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर जुर्माना लगाया था और तीन अन्य छात्रों को निष्कासित किया था।

विश्वविद्यालय ने कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, जबकि अनिर्बान भट्टाचार्य और उमर खालिद एक सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया है। भट्टाचार्य पर 25 जुलाई से विश्वविद्यालय में प्रवेश करने पर पांच साल तक रोक भी लगा दी गई है।

विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर के आदेश के अनुसार, भट्टाचार्य और उमर खालिद को एक सेमेस्टर के लिए, जबकि मुजीब गट्ट और अन्य छात्रों को दो सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया गया है।

खालिद को 13 मई तक 20000 रुपये का जुर्मना भी अदा करना होगा।

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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