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उत्तराखंड

जंगलों की आग से सांसों पर संकट

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उत्तराखंड के जंगलों की आग, सांसों पर संकट, वन संपदा आग में जलकर राख, आसमान पर धुंए के बादल

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उत्तराखंड के जंगलों की आग, सांसों पर संकट, वन संपदा आग में जलकर राख, आसमान पर धुंए के बादल

fire in uttarakhand

देहरादून। उत्तराखंड में हजारों हेक्टेयर वन संपदा आग में जलकर राख हो गयी है। गढ़वाल और कुमाऊं के जंगलों में आग धधक रही है और आग बुझाने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। आग लगने से चारों ओर धुंआ ही धंुआ है और ग्रामीणों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इसके अलावा आसमान पर धुंए के बादल हैं। उमस से बुरा हाल है। वन विभाग, जिला प्रशासन व एनडीआरएफ की टीमें आग बुझाने में जुटी हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है।

हेलीकाॅप्टर नहीं भर सका उड़ान

गढ़वाल में मंगलवार को भी कई क्षेत्रों के जंगल धधकते रहे। रुद्रप्रयाग जिले के कई क्षेत्रों में मंगलवार को भी जंगलों से धुएं का गुबार उठता दिखाई दिया। रुद्रप्रयाग में अगस्त्यमुनि और जखोली पूर्वी व पश्चिमी रेंज के जंगलों में अब भी आग भड़की हुई है। इस आग से वातावरण में छाई घनी धुंध के कारण सूरज की तपन तेज है, जिससे उमस भरी गर्मी पड़ रही है। ऋषिकेश और हरिद्वार में फिलहाल आग पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया है। अलकनंदा घाटी के चारों ओर लगी धुंध से एमआई 17 उड़ान नहीं भर पाया। बदरीनाथ वन प्रभाग के पाखी और टंगणी के मध्य जंगल में मंगलवार को भी आग धधकती रही। एक वनकर्मी, छह पुलिस कर्मी और एक पीएसी प्लाटून आग बुझाने में लगे हुए हैं। एक दमकल वाहन भी मौके पर है।

वन संपदा के साथ जड़ी-बूटियां भी राख

वहीं, एनडीआरएफ की टीमें भी पोखरी, दशोली और कर्णप्रयाग वन रेंजों में आग बुझाने में लगी हुई है। चमोली जनपद में बीएसएनएल की बेस और मोबाइल सेवा ठप पड़ी है, जिससे बैंक व अन्य सरकारी विभागों में कार्य प्रभावित हो रहा है। जंगल की आग से बीएसएनएल की ओएफसी लाइन फुंक जाने से कनेक्टिविटी ठप है। चकराता वन प्रभाव के मोल्टा रेंज और चातरा बीट में सुबह करीब सात बजे आग लगी, जिस पर वन कर्मियों और ग्रामीणों द्वारा दो घंटे में काबू पाया गया। कनासर बीट में भी छुट-पुट आग लगने की घटनाएं सामने आई, जिन पर काबू पा लिया गया। आग की घटनाओं के मद्देनजर वन विभाग की टीम की गस्त जारी है। मसूरी और टिहरी के बीच पड़ने वाले फाटाघाट सुवाखोली के पास आग लगने की एक घटना सामने आई, जिसे बुझा दिया गया।

वहीं जीबी पंत पर्यावरण विकास एवं शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने जंगलों की आग से प्रभावित जड़ी बूटियों को सूचीबद्ध कर लिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन जड़ी बूटियों को पुनःस्थापित होने में कई वर्ष लग सकते हैं। लैंटाना जैसी हानिकारक वनस्पतियों को आग से बढ़ावा मिलता है। राजाजी पार्क के उपनिदेशक ने बताया कि हरिद्वार की राजाजी पार्क रेंज में आग पर काबू पा लिया गया है। वन विभाग की टीम लगातार गश्त कर रही है।

गढ़वाल में 123 जगहों पर आग

उधर, गढ़वाल मंडल में जंगल में आग लगने की 123 घटनाएं हुई। वन विभाग जंगल की आग बुझाने के लिए कितना संवेदनहीन है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि चमोली जिले के रौली गांव और टिहरी जिले के ग्राम साणों के घमतपा नामे तोक में आग लगने की सूचना देने के बाद भी वहां कोई कर्मचारी नहीं पहुंचा। ग्रामीणों ने खुद के प्रयास से आग पर काबू पाया। वहीं रुद्रप्रयाग जिले में जंगलों में लगी आग ने चार वर्ष का रिकार्ड तोड़ दिया है। अब तक 45 घटनाओं में 97.20 हेक्टेयर जंगल राख हो चुके हैं। उत्तरकाशी में सौ हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आए हैं। अब बस्तियों की तरफ बढ़ रही आग पर तो काबू पा लिया गया, लेकिन दूरस्थ क्षेत्रों में अब भी आग सुलग रही है। विभाग के पास आग बुझाने के पर्याप्त संसाधन नहीं होना भी आड़े आ रहा है। इसके साथ ही कई जगह ट्रांसफार्मर जल गए हैं।

भले ही अधिकरी उत्तराखंड के जंगलों में भड़की आग पर काबू होने की बात कर हैं, लेकिन अब यह आग देहरादून जिले के जंगलों को अपनी जद में ले रही है। सोमवार की सुबह देहरादून के मालदेवता के जंगलों में लगी आग के बाद फायर बिग्रेड की तीन गाडि़यां बुलाई गई, जिसके बाद आग पर काबू पाया गया।

मरीजों की जान खतरे में

जंगलों में लगी आग के धुएं से सांस, आंख और एलर्जी के मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। सांस संबंधित बीमारियों के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसके अलावा आंखों में इन्फेक्शन व जलन और तमाम तरह की एलर्जी के मरीज भी बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों से भी काफी संख्या में मरीज उपचार के लिए दून पहुंच रहे हैं। दून में आंख में खुलजी, करकराहट और लाल होने के मामले देखे जा रहे हैं। सांस के रोगियों के लिए विशेष तौर पर ध्यान रखने वाली बात यह है कि वे घर के भीतर ही रहें; बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें; अपनी दवाएं समय पर लेते रहें; धुएं और प्रदूषण से बचाव करें।

आग लगाने वाले 46 लोग पकड़े

उत्तराखंड के जंगलों में अचानक इतनी आग कैसे लगी? इस सवाल का जवाब धीरे-धीरे मिलने लगा है। सोमवार को जानबूझकर जंगल में आग लगाने के मामले में 46 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई। साथ ही तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें दो व्यक्तियों को दूसरे प्रांत का बताया जा रहा है। इससे शक की सुई वन माफिया की तरफ घूमने लगी है। हालांकि अपर मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने बताया कि आरोपियों का विस्तृत ब्यौरा लिया जा रहा है। जंगलों में आग का सिलसिला शुरू होने के बाद यह चर्चा रही कि आग मानव जनित है।

उत्तराखंड

केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जनता का किया धन्यवाद

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देहरादून: केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत से साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है। ब्रांड मोदी के साथ साथ ब्रांड धामी तेजी से लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं। इस उपचुनाव में विरोधियों ने मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ कुप्रचार करके निगेटिव नेरेटिव क्रिएट किया और पूरे चुनाव को धाम बनाम धामी बना दिया। कांग्रेस के शीर्ष नेता और तमाम विरोधी एकजुट होकर मुख्यमंत्री पर हमलावर रहे। बावजूद इसके धामी सरकार की उपलब्धियों और चुनावी कौशल से विपक्ष के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। धामी के कामकाज पर जनता ने दिल खोलकर मुहर लगाई।

आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल नाम भर नहीं है, बल्कि एक ब्रांड हैं। मोदी के हर क्रियाकलाप का प्रभाव जनता के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है इसलिए पिछले दो दशकों से वह देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बने हुए हैं। ब्रांड मोदी की बदौलत केन्द्र ही नहीं राज्यों में भी भाजपा चुनाव जीतती चली आ रही है। उनके साथ ही राज्यों में भी भजपा के कुछ नेता हैं जो एक ब्रांड के रूप में अपनी पार्टी के लिए फयादेमंद साबित हो रहे हैं। तेजी से उभर रहे ऐसे नेताओं में से एक हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। सादगी, सरल स्वभाव, संवेदनशीलता और सख्त निर्णय लेने की क्षमता, ये वो तमाम गुण हैं जिनकी बदौलत पुष्कर सिंह धामी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। धामी ने उत्तराखण्ड में अपने कम समय के कार्यकाल में कई बड़े और कड़े फैसले लिए, जिससे देशभर में उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। खासकर यूसीसी, नकलरोधी कानून, लैंड जिहाद, दंगारोधी कानून, महिला आरक्षण आदि निर्णयों से वह देश में नजीर पेश की चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का दायरा उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में उनकी छवि एक ‘डायनेमिक लीडर’ की बन चुकी है।

 

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