मुख्य समाचार
बहिरंगा शक्ति माया का भी अंश नहीं हो सकता
रामायण-यथा- ईश्वर अंश जीव अविनाशी।
वेदों ने तो स्पष्ट कहा है। यथा-
दिव्यो देव एको नारायणो माता पिता भ्राता।
निवासः शरणं सुहृत् गतिर्नारायण इति।।
(सुवाल श्रुति- छठवाँ मंत्र)
अर्थात् श्रीकृष्ण केवल जीव के अंशी ही नहीं हैं। वरन् वे ही माता, पिता, भ्राता, सखा, गति सब कुछ हैं।
कुछ लोग जीव के अंश होने में शंका करते हैं कि जीव कैसे ब्रह्म का अंश हो सकता है? क्योंकि ब्रह्म तो मायाधीश है, जबकि जीव मायाधीन है। फिर ब्रह्म कभी भी मायाधीन हो ही नहीं सकता। एक प्रश्न और भी होता है कि ब्रह्म तो अखंड है। अतः उसके टुकड़े हो ही नहीं सकते। उनका समाधान यह है-
तत्वं च तस्य तच्छक्तित्वात् सिद्धम् (गोविंदभाष्य)
अर्थात् वास्तव में ब्रह्म की शक्ति होने के कारण ही अंश कहा जाता है। पुनः प्रश्न होता है कि जीव कौन सी ब्रह्म की शक्ति का अंश है? ब्रह्म की दो शक्तियाँ प्रमुख हैं। एक परा या अन्तरंगा शक्ति, दूसरी बहिरंगा माया शक्ति। अब इन दोनों शक्तियों पर विचार की कीजिये। ब्रह्म की अंतरंगा स्वरूप शक्ति का अंश तो हो ही नहीं सकता। क्योंकि ब्रह्म तो सर्वस्रष्टा, सर्वनियंता एवं सर्वव्यापक है। और बहिरंगा शक्ति माया का भी अंश नहीं हो सकता, क्योंकि माया तो जड़ है। जीव चेतन है। यदि कहो कि जीव अपने अंशी ब्रह्म से अभिन्न है, तो भी ठीक नहीं है, क्योंकि जीव तो काल, कर्म, गुणादि के आधीन है। अतः इन दोनों शक्तियों का अंश नहीं हो सकता। जीव तो तीसरी शक्ति का अंश है। वह है जीव शक्ति। यथा-
जीव शक्ति विशिष्टस्यैव तव जीवोंशः न तु शुद्धस्य।
(प.सं. जीवगोस्वामी)
अर्थात् शुद्ध ब्रह्म का अंश नहीं है वरन् जीव शक्ति विशिष्ट ब्रह्म का अंश है। पुनः यह प्रश्न आता है कि स्वरूप शक्ति तो सदा श्रीकृष्ण में ही स्थित रहती है, जबकि जीव शक्ति नहीं रहती। इसका समाधान यह है कि स्वरूप शक्ति एवं जीव शक्ति तथा अन्य समस्त शक्ति अपने शक्तिमान में ही स्थित रहती हैं। पुनः प्रश्न पैदा होता है कि जब स्वरूप शक्ति एवं जीव शक्ति दोनों ही श्रीकृष्ण में स्थित हैं, तो स्वरूप शक्ति का प्रभाव जीव शक्ति पर क्यों नहीं हुआ? उसका उत्तर यह है कि जैसे श्रीकृष्ण के ही अभिन् न स्वरूप ब्रह्म में सब शक्तियों का विकास नहीं होता, ऐसे ही जीव पर भी स्वरूप शक्ति का प्रभाव नहीं होता। अस्तु जीव मात्र, जीव शक्तियुक्त श्रीकृष्ण के ही अंश हैं।
नेशनल
मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
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