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प्रादेशिक

हाथ छोड़कर साइकिल चला पाएंगे बेनी!

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बेनी प्रसाद वर्मा, बाराबंकी की राजनीति, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, दरियाबाद विधानसभा सीट

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राकेश यादव

लखनऊ। हाथ छोड़कर साइकिल की सवारी करने उतरे बेनी बाबू सियासत की डगर पर अब कितना संतुलन बना पाते हैं, इसका जवाब तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन बेनी की सपा में वापसी ने बाराबंकी के राजनीतिक गलियाओं में हलचल तेज कर दी हैं। बेनी बाबू का अतीत देखने से साफ पता चलता है कि एक वर्ग विशेष की राजनीति के माहिर खिलाड़ी के आने से बाराबंकी में टकराव की राजनीति की संभावना से इन्कार नहीं जा सकता है। बेनी प्रसाद वर्मा  के साइकिल पर सवार होते ही बाराबंकी और आसपास के जिलों में राजनीतिक टकराव की आशंका शुरू हो गयी है। कयास लगने लगे हैं कि बीते विधानसभा चुनाव में दरियाबाद विधानसभा सीट से  अपने पुत्र को जीत न दिला पाने वाले बेनी बाबू से सपा को फायदा कम, नुकसान अधिक होगा। एक समय कुर्मी मतदाताओं में मजबूत पकड़ रखने वाले पुराने समाजवादी नेता बेनी के दलबदल करने से मतदाताओं के बीच उनकी छवि धूमिल होने के साथ ही उनकी मतदाताओं पर पकड़ भी कमजोर हो गई। इनकी वापसी से बाराबंकी की राजनीति टकराव के आसार नजर आ रहे है।

बाराबंकी की राजनीति में उथल-पुथल मचने के आसार

राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी के पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने पाला बदलकर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। कुर्मी जाति के  वोटों को लेकर बाराबंकी पिछले करीब एक दशक से बसपा और सपा को गढ़ बना हुआ है। वर्ष-2007 के विधानसभा चुनाव में यहां की सीटों पर बसपा, सपा और भाजपा का मिला जुला प्रदर्शन देखने को मिला था। इसके बाद 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सभी छह विधानसभा सीटें समाजवादी पार्टी के कब्जे में हैं। इस चुनाव में केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने अपने पुत्र राकेश वर्मा को दरियाबाद विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था लेकिन राकेश वर्मा को हार का स्वाद चखना पड़ा था। इस समय  बाराबंकी जिले से  प्रदेश सरकार के एक कैबिनेट मंत्री अरविंद सिंह गोप का बोलबाला है। गोप की राजनीतिक क्षमता एवं सक्रियता से बाराबंकी  में समाजवादी पार्टी का खोया हुआ वजूद वापस मिला। बेनी प्रसाद वर्मा की समाजवादी पार्टी में वापसी ने बाराबंकी की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। यही नहीं बाराबंकी की सभी विधानसभा सीटों पर वर्तमान विधायकों में से किस विधायक का टिकट कटवाकर बेनी बाबू अपने पुत्र को चुनाव मैदान में उतारेंगे।  बेनी की वापसी ने खासतौर पर बाराबंकी के राजनीतिक गलियारों में इन चर्चाओं को जरूर बल दे दिया है।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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