उत्तराखंड
चट्टानी क्षेत्र खोदकर गांववालों ने बना डाली सड़क
पौड़ी। सरकारी तंत्र को आईना दिखाते हुए चट्टानी क्षेत्र को खोदकर गांववालों ने सड़क बना डाली। इसके साथ ही बुधवार को सड़क का लोकार्पण भी बड़े ही सादगी से कर दिया गया। ये वाकया है पौड़ी-गढवाल के खिर्सू ब्लाक के खांकरयों गांव का। गांव वालों की जिद ने पथरीली राह को काटकर खुद के लिए सड़क बना डाली। सड़क बन जाने के बाद ग्रामीणों की खुशी देखने लायक थी। ग्रामीणों ने सड़क का लोकार्पण भी किसी नेता से न कराकर समाजसेवी और उद्योगपति मोहन काला से कराया।
गौरतलब है कि खांकरयों गांव के लोगों ने एक किलोमीटर की सड़क के अधिकांश हिस्से को खुद की मेहनत और चंदा जमाकर तैयार किया है। वहीं राजनेताओं को इस पूरे कार्यक्रम से बाहर रखा गया। गांव के दीपक और गोवर्धन उनियाल समेत अन्य ग्रामीणों ने कहा कि यह पूरे गांव के लोगों की मेहनत का नतीजा है। गांववालों का कहना है कि उन्हे अपने गांव और इस सड़क को इससे भी आगे ले जाना है। जिससे न केवल उनकी बल्कि अन्य गांव के लोगों की परेशानियां भी दूर की जा सके।
खास बात यह है कि सड़क न होने के चलते पलायन का दंश झेलते खांखरयों गांव में अब मौजूद 8 परिवारों की महिलाओं और कुछ पुरूषों द्वारा ही सड़क निर्माण का न केवल बीड़ा उठाया गया बल्कि उसे काफी हद तक पूरा भी किया गया। इस सबको देखते हुए क्षेत्रीय निवासी व उद्योगपति मोहनकाला ने ग्रामीणों से सम्पर्क किया और बची हुई सड़क निर्माण का जिम्मा उठाने का आग्रह किया। न केवल काला बल्कि गांव से पलायन कर बाहर बस चुके गांव के ही लोग सड़क निर्माण में न केवल अपना योगदान देना चाहते हैं बल्कि गांव में टूट चुके अपने मकानों को भी ठीक कर वापस लौटना चाहते हैं, जो कि एक शुभ संकेत है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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