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लाइफ स्टाइल

बरसाती मौसम के लिए रहें तैयार

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बरसाती मौसम के लिए रहें तैयार

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बरसाती मौसम के लिए रहें तैयार

नई दिल्ली| देश के कुछ हिस्सों में मानसून दस्तक दे चुका है। जल्द दिल्ली भी मानसूनी फुहारों से भीगी होगी, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि आप इस मौसम की उमस को सोच कम फैशनेबल दिखें। जरूरत है, तो बस बदलते मौसम के अनुरूप परिधान-मेकअप चयन की। ई-कॉमर्स फैशन पोर्टल ‘स्टाइलटैग डॉट कॉम’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) व संस्थापक संजय श्रॉफ ने मानसून में तैयार होने में मदद करने वाले कुछ टिप्स दिए हैं:
रंग : 2016 का मानसून जानदार लेकिन हल्के रंगों के नाम रहेगा। गर्मी के मौसम के दौरान हल्के रंगों के कपड़े हमेशा अच्छे दिखते हैं, क्योंकि वे गर्मी के सुचालक होते हैं।
जुदा परिधान : ट्यूनिक ड्रेसेज इस मौसम के लिहाज से हिट हैं। बोहो टॉप भी अच्छा विकल्प है। सादी शर्ट व क्रॉप टॉप्स पहनें, जो पहनने में आरामदायक हों। मानसून में पहने जाने वाले कपड़ों के लिहाज से कम लंबाई वाले कपड़े बहुत उपयुक्त होते हैं।
कपड़े की किस्म : पोली नायलॉन्स, रेयान, नायलॉन व सूती मिश्रित कपड़े पहनें। डेनिम या ऐसे कपड़ न पहनें, जिनसे रंग निकलता हो। मुलायम सूती व पॉली-फैबरिक सर्वश्रेष्ठ है। क्रेप या शिफॉन निर्मित परिधान पहनने से बचें, क्योंकि यह बारिश के मौसम के लिहाज से ठीक नहीं है और इनमें आसानी से सिलवटें पड़ती हैं। फूल-पत्तियों के छापे वाली ड्रेस अन्य विकल्प है।
एसेस्सरीज : अपने साथ वाटरप्रूफ बैग लेकर चलें, ताकि आईफोन, मेकअप का सामान, किताबें, वॉलेट आदि को बारिश से भीगने से बचा सकें। रंग-बिरंगा छाता व बरसाती कोट साथ रखें। अपने स्टाइल के मुताबिक किसी एक का चयन करें।
बाल एवं मेकअप : वातावरण में मौजूद नमी आपके बालों को उलझाऊ बना सकती है। बालों को उलझने से रोकने के लिए उनका जूड़ा या चोटी बनाकर रखें। वाटरप्रूफ काजल व आई-लाइनर भी जरूरी है। आप हल्के फाउंडेशन का इस्तेमाल कर सकती हैं, लेकिन कोशिश करें कि बरसात में फाउंडेशन न लगाएं।

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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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