उत्तराखंड
कैंची धाम में 15 जून को मेले का आयोजन
कैंची धाम में भारी तादाद में पहुंचेंगे भक्त
नैनीताल। नीम करौली बाबा का कैंची धाम आश्रम मार्क जुकरबर्ग और स्टीव जॉब के लिए प्रेरणा स्रोत साबित हुआ है। फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब की प्रेरणा स्थली कहीं और नहीं बल्कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में है।
ज्ञात हो कि एप्पल की नींव रखने से पहले स्टीव जॉब कैंची धाम आए थे। यहीं उनको कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली। जिस वक्त फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग फेसबुक को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे तो स्टीव जॉब ने ही उन्हें कैंची धाम जाने की सलाह दी थी। उसके बाद जुकरबर्ग ने यहां की यात्रा की और एक स्पष्ट विजन लेकर लौटे।
कैंची धाम में 15 जून को मेले का अयोजन होने जा रहा है। नीम करौली बाबा की तपोस्थली पर यह बड़ा आयोजन है।
15 जून को नैनीताल के कैंची धाम में होने वाले मेले को लेकर प्रशासन ने कमर कस ली है। मेले में कोई व्यवधान न हो इसके लिये मन्दिर प्रशासन व जिला प्रशासन ने बैठक की है। इस बार भी बाबा नीम करौली महाराज के एक लाख से ज्यादा भक्तों के कैंचीधाम आने की उम्मीद है।
मेले के दौरान सड़क में जाम की स्थिति ना बने इसके लिये 4 पुलिस अधिकारी 9 थानाअध्यक्ष, 18 एसआई 100 पुलिस जवानों के अलावा एक कम्पनी पीएसी को ड्यूटी पर तैनात किया है।
इसके साथ ही नया ट्रैफिक प्लान भी इस दिन के लिये लागू किया गया है। हल्द्वानी और अल्मोडा की तरफ से आने वाले वाहनों को रामगढ़ होते हुए क्वारब भेजा जायेगा तो अल्मोडा से आने वाले वाहनों को क्वारब से रामगढ होते हुये भवाली उतारा जाएगा।
बाबा नीम करौली महाराज पर लोगों की बड़ी आस्था है। यहां न सिर्फ भरतीय बल्कि विदेशी भक्तों की भी आस्था इस मंन्दिर से जुड़ी है। फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब के अलावा भी भारी संख्या में विदेशी साधक नीम करौली महाराज से जुड़ रहे हैं।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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