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सौंदर्य निखारता है योग : शहनाज हुसैन

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सौंदर्य निखारता है योग: शहनाज हुसैन

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सौंदर्य निखारता है योग: शहनाज हुसैन

नई दिल्ली| यह जरूरी नहीं कि आप जन्मजात सुंदर हों। आप अपने प्रयत्नों से भी सुंदर बन सकते हैं। मेरा दृढ़ विचार है कि अच्छा स्वास्थ्य व बाहरी सौंदर्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि आप शारीरिक तौर पर स्वस्थ नहीं हैं तो आपकी सुंदरता में निखार कभी नहीं आ सकता।
आर्कषक त्वचा, काले चमकीले बाल तथा छरहरा बदन केवल मात्र स्वस्थ शरीर से ही प्राप्त किया जा सकता है। मैंने समग्र स्वास्थ्य आयुर्वेदिक सिद्धांतों को योग के माध्यम से ही प्रोत्साहित किया है। इस समग्र सौंदर्य की अनोखी अवधारणा को विश्वभर में सराहा गया।
मेरे विचार में वर्तमान आधुनिक जीवनशैली में समग्र स्वास्थ्य तथा सौंदर्य को प्राप्त करने के लिए योग बहुत प्रसांगिक है। वास्तव में योग मेरे व्यक्तिगत जीवन का अभिन्न अंग है और मैंने इसके कई लाभ प्राप्त किए हैं।सुंदर त्वचा तथा चमकीले बालों के लिए प्राणायाम सबसे महत्वपूर्ण आसन है। इससे तनाव कम होता है तथा रक्त में ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है और इससे रक्त-संचार में सुधार होता है। उत्थासन, उत्कावासन, शीर्षासन, हलासन तथा सूर्य नमस्कार आंतरिक तथा बाहरी सौंदर्य को निखारने में अहम भूमिका अदा करते हैं।

योगासन करने से व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता है। योग से न केवल मांसपेशियों सु²ढ़ होती हैं, बल्कि शरीर में प्राणाशक्ति बढ़ती है तथा आंतरिक अंगों में ²ढ़ता आती है। साथ ही नाड़ी तंत्र को संतुलित बनाती है। योग मानसिक तनाव से मुक्ति प्रदान करता है तथा मानसिक एकाग्रता प्रदान करता है। योग प्राचीनकाल की भारतीय विद्या है तथा योग संतुलित व्यक्तित्व प्राप्त करने तथा बुढ़ापे को रोकने का प्रभावी उपाय माना जाता है। योग से सांसों पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है तथा योगक्रिया के दौरान सांसों को छोड़ने तथा सांसों को खींचने की विस्तृत वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे शरीर में प्राणवायु का संचार होता है। इससे शारीरिक तथा मानसिक आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है। योग सौंदर्य के लिए अति आवश्यक है, क्योंकि आनंद का अहसास शारीरिक सौंदर्य का अनिवार्य अंग है।

योग से त्वचा के बाहरी हिस्से तक रक्त-संचार में बढ़ोतरी होती है तथा यह त्वचा की सुंदरता के लिए काफी अहम भूमिका अदा करता है क्योंकि इससे त्वचा को पर्याप्त पोषाहार प्राप्त होते हैं। इससे त्वचा में मौजूद विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है। इससे त्वचा के संकुलन में मदद मिलती है तथा इससे त्वचा में रंगत आती है।योग से त्वचा में ऑक्सीजन का संचार होता है, त्वचा में सुंदर आभा का संचार होता है तथा त्वचा में यौवनपन बना रहता है। त्वचा अनेक रोगों से मुक्त रहती है। यही प्रक्रिया बालों में भी लागू होती है।
योग से बालों की कोशिकाओं तथा सिर की खाल में रक्त-संचार तथा ऑक्सीजन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इससे बालों की कोशिकाओं को रक्त धमनियों में पोषाहार की आपूर्ति होती है, जिससे बालों की आकर्षक वृद्धि होती है।

जब हम सौंदर्य की बात करते हैं तो हम मात्र बाहरी चेहरे के सौंदर्य की ही बात नहीं करते, लेकिन इसमें शारीरिक बनावट, इसके लचीलेपन, हावभाव, आकर्षण तथा मनोहरता भी शामिल होती है।जहां तक बाहरी दिखावट का प्रश्न है, वहां छरहरे बदन से आप काफी युवा दिख सकती है तथा लंबे समय तक यौवन बनाए रख सकती है। योग से शरीर के प्रत्येक टिशू को ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है, जिससे स्वस्थ तथा सुंदरता की राहें खुद ही खुल जाती हैं। यदि आपके जीवन में शारीरिक सक्रियता की कमी है तो आप बुढ़ापे को आमंत्रण दे रही हैं। योग तथा व्यायाम से समय से पूर्व बुढ़ापे को प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है, क्योंकि इससे न केवल शारीरिक सु²ढ़ता प्राप्त होती है, बल्कि शरीर पतला तथा स्वास्थ्य भी दिखता है।

यौगिक आसनों से रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों को लचीला तथा कोमल बनाया जा सकता है। इससे शरीर सु²ढ़ तथा फुर्तीला बनता है, मांसपेशियां सु²ढ़ होती हैं, रक्त-संचार में सुधार होता है, शरीर में उत्साह तथा प्राणशक्ति का संचार होता है तथा बाहरी सौंदर्य तथा अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। सौंदर्य से जुड़ी अनेक समस्याएं तनाव की वजह से उत्पन्न होती हैं। योग से तनाव कम होता है तथा शरीर शांतमय स्थिति में आ जाता है, जिससे तनाव की वजह से होने वाले रोग जैसे बालों का झड़ना, मुंहासे, फुंसी, गंजापन तथा बालों में रूसी की समस्या से स्थायी निजात मिल जाती है। योगासन को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने वाले योगसाधकों पर किए गए एक अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है कि योग साधकों के व्यक्तित्व, व्यवहार, भावनात्मक स्थायित्व, आत्मविश्वास में सकारात्मक बदलाव देखने में मिलता है। योग का दिमाग, भावनाओं तथा मनोदशा एवं चित्तवृत्ति पर सीधा प्रभाव पड़ता है। योग तनाव को कम करता है तथा आपकी त्वचा में आभा लाता है। योगा से आप तत्काल यौवन को ताजगी तथा बेहतर मूड का अहसास करेंगे।

सौंदर्य के लिए पोषाहार भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों ने प्रकृतिक भोजन को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना है। उन्होंने अपनी डाइट में ताजे फल तथा सब्जियों के जूस, कच्चा सलाद, अंकुरित अनाज, दाल, आर्गेनिक गेहूं एवं चावल बादाम, बीज तथा दही जैसे प्रकृतिक खाद्य पदार्थो का उपयोग करके अपने शरीर को शुद्ध तथा मौलिक रूप में बनाए रखा तथा शरीर को विषैले पदार्थो से संरक्षण प्रदान किया। ये खाद्य पदार्थ आधुनिक जीवनशैली में भी दैनिक खानपान का अभिन्न अंग होनी चाहिए तथा रिफाइंड, चीनी तथा चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थो को अपनी डाइट से हटाया जाना चाहिए। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं कि प्रकृतिक भोजन ही आपके बाहरी सौंदर्य में निखार ला सकता है। इनमें आप की बाहरी बनावट तथा आंतरिक अहसास, दोनों में सकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है। इनसे त्वचा निर्मल, कोमल तथा स्वच्छ बन जाती है।

योग से बालों के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है तथा शरीर की बाहरी दिखावट के आकार में प्रकृतिक आकर्षण पैदा होता है। योग से शरीर में नई चेतना तथा प्राणशक्ति का संचार होता है, जिससे मानसिक ²ष्टिकोण में सुधार होता है, आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है तथा जीवन में नए जोश का संचार होता है। स्वस्थ्य शरीर के लिए चीनी, मांसाहार तथा चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थो पर अपनी निर्भरता कम कीजिए तथा वसायुक्त अनाज का सेवन बढ़ाई तथा परिशोधित अनाज तथा आटे का उपयोग कीजिए। आपके शरीर की आवश्यकता अनुसार चीनी आपको प्रकृतिक फलों से ही प्राप्त हो जाती है। आप विकल्प के तौर पर शहद को भी मिठास के लिए प्रयोग कर सकती है।

प्रतिदिन ताजे फल तथा सब्जियों को अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाइए। दही को सौंदर्य उत्पाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है तथा स्किमड दूध तथा पनीर आपकी डाइट में शामिल किया जाना चाहिए। सब्जियों को हल्की आंच पर पकाइए।ताजे पत्तियों वाली साग-सब्जियों, ताजे फ्रूट, जूस को अपनी दैनिक आहार में शामिल कीजिए। यह न केवल आपकी महत्वपूर्ण पौषाहार प्रदान करते हैं, बल्कि शरीर में आसानी से पच जाते हैं। यह शरीर को स्वच्छ तथा निर्मल रखने में भी मदद करते हैं तथा शरीर में विषैले पदार्थो के जमाव को रोकते हैं। फल तथा सब्जियों के जूस ताजा लेने चाहिए तथा इनमें आवश्यकतानुसार साफ ताजा पानी मिला लेना चाहिए।योग से बाहरी सौंदर्य को निखारने में मदद मिलती है तथा चमकती त्वचा, चमकीले काले बालों, छरहरे सुंदर बदन, सजीली आकृति के लिए योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाइए।
(लेखिका अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ व हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय हैं)

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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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