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उत्तराखंड

पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहे हैं लोग

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जौनपुर विकासखंड सिलवाड़ पटटी, पानी की बूंद बूंद, अठजुला के कांडी गांव

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जौनपुर विकासखंड सिलवाड़ पटटी, पानी की बूंद बूंद, अठजुला के कांडी गांव

Water shortage

तीन मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद भी धरातल पर नहीं उतरी पंपिग योजना

मसूरी (देहरादून)। जौनपुर विकासखंड सिलवाड़ पटटी, अठजुला के कांडी गांव सहित आठ गांव के लोग पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहे हैं। कांडी गांव के लोग विगत 25 सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं लेकिन आज तक इस समस्या के समाधान के मात्र कोरे आश्वासनों के अलावा कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। मजबूरी में लोगों ने पशु पालने छोड़ दिए तथा गांव से अधिकतर लोगों ने पलायन कर लिया है। आश्चर्य की बात है कि तीन-तीन मुख्यमंत्रियों ने पंपिग योजना की घोषणा की लेकिन वह अभी तक कागजों तक ही सीमित होकर रह गयी। गांव में हाल यह है कि लोग पानी की चोरी होने से बचाने के लिए टंकियों में ताला लगा रहे हैं।

जल्द करेंगे आठ गांवो के लोग सपरिवार एनएच 507 को जाम

एक जमाने में जौनपुर विकास खंड का सबसे समृद्ध गांव कांडी पानी न होने के कारण आज खाली हो गया है। कांड़ी गांव तल्ला व मल्ला में करीब पचार परिवार रहते थे अब मात्र 10 प्रतिशत लोग ही गांव में बचे हैं। हाल यह है कि अब गांव में शादी करने व लड़की देने से पहले आदमी सौ बार सोचता है। कांडी गांव में पानी की योजना के लिए लगातार प्रयास किए गये लेकिन अभी तक कोई योजना धरातल पर नहीं आई। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा व गत वर्ष केंम्पटी आये वर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सड़ब खडड या खिला गाड से 863.89 लाख की पंपिग योजना स्वीकृत की लेकिन यह योजना आज तक धरातल पर नहीं आ पाई। हालांकि पूरे अठजुला में पानी की किल्लत है लेकिन सबसे अधिक परेशानी कांडी गांव तल्ला व मल्ला के साथ ही सड़ब तल्ला व मल्ला में है जहां सरकार की ओर से एक टाइम टैंकर से पानी दिया जा रहा है जो गांव से 10 किमी दूर सड़ब खाले से लाया जा रहा है। जब टंैकर नहीं आता तो ग्रामीणों को तीन से चार किमी दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता है।

कांडी के पूर्व प्रधान दीवान सिंह, बिरेन्द्र सिंह रावत, ने बताया कि पानी के लिए 25 वर्षो से संघर्ष किया जा रहा है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। तीन मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद भी आज तक योजना धरातल पर नहीं आई। उन्होंने बताया कि पानी न होने से गांव खाली हो रहा है वहीं गांव की आर्थिकी पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि मवेशियों को पानी न मिलने के कारण लोगों ने पशु पालन ही बंद कर दिया। वहीं क्षेत्र में नकदी फसल भी पानी के कारण प्रभावित हो रही है। गांव के ही सूरत सिंह रावत ने कहा कि नेता लोग मात्र चुनाव में आते हैं और फिर दुबारा नहीं आते। ग्रामीण महिला मंजू ने कहा कि पानी न होने के कारण बच्चो को नहलाया भी नहीं जाता केवल खाना बनाते तक का पानी टैंकर से मिल पाता है। वहीं ग्रामीण बच्चों का कहना है कि पानी न होने के कारण वे स्कूल भी नहीं जा पाते क्योंकि पानी ढोने में ही दिन बीत जाता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य कमल रावत ने कहा कि पानी का मामला बीडीसी से लेकर सरकार तक उठा चुके हैं लेकिन आज तक योजना धरातल पर नहीं आ पाई अगर शीघ्र योजना पर कार्य नहीं हुआ तो ग्रामीण महिलांए पुरुष बच्चों व परिवार सहित आठ गांवों के लोग राष्ट्रीय राजमार्ग 507 पर जाम लगा कर धरना देगें।

 

 

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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