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उत्तराखंड

आजीविका का बड़ा जरिया बन सकता है अमेस

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उत्तराखंड में कई दुर्लभ वनस्पतियां, अमेस का औषधीय महत्व

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उत्तराखंड में कई दुर्लभ वनस्पतियां, अमेस का औषधीय महत्व

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उद्यान विभाग ने शुरू किया अमेस का प्रसंस्करण

देहरादून/गोपेश्वर। अपने खास भूगोल और आबो हवा के कारण उत्तराखंड में कई दुर्लभ वनस्पतियां मौजूद हैं, जिनका किसी न किसी रूप में औषधीय महत्व भी है। अमेस भी ऐसी ही एक वनस्पति है। दिलचस्प बात ये है कि इस वनस्पति को अब तक मामूली झाड़ी ही समझा जाता था।

लेकिन जड़ी बूटी शोध संस्थान गोपेश्वर के वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान एक ऐसी औषधी के रूप में की है जो पहाड़ी इलाकों में आजीविका के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। इसे वनस्पति विज्ञान की भाषा में हिप्पोफी कहा जाता है और चीन में इस वनस्पति पर लगने वाले फलों से करीब पांच हजार उत्पाद बनाए जाते हैं।

विटामिन से भरपूर होने के कारण इसका उच्च गुणवत्ता वाला स्पोर्ट्स ड्रिंक भी कई देशों में बनाया जा रहा है। भारत में उत्तराखंड में ही इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं। जिसे यहां अमेस कहा जाता है। समुद्र तल से करीब ढाई हजार मीटर की ऊंचाई पर चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिले में यह बहुतायत में उगती है।

लेकिन उपयोग के नाम पर सिर्फ इसकी टहनियों को आलू या सेब के बगीचों में बाड़ लगाने के लिए ही किया जाता रहा है। जड़ी बूटी शोध संस्थान के वैज्ञानिक डाॅ. विजय प्रसाद के मुताबिक अमेस का फल अपनी खूबियों के कारण ग्रामीणों के लिए आजीविका का बड़ा जरिया बन सकता है।

यह वनस्पति जमीन से तीन फीट से सात फीट तक ऊंची और पतली टहनियों और घनी पत्तियों वाली होती हैं। पत्तियों के बीच अमेस का फल जंगली बेर की तरह दिखता है और पकने पर नारंगी और लाल रंग का हो जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन और एंटी कैंसर तत्व शामिल हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण इसका औषधीय महत्व भी बढ़ जाता है।

अमेस की पहचान होने के बाद उद्यान विभाग ने जड़ी बूटी शोध संस्थान के साथ मिलकर इसके प्रसंस्करण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिसके तहत उत्तरकाशी जिले के नौगांव समेत चमोली व पिथौरागढ़ जिले में महिला समूहों को इस काम से जोड़ा गया है।

अमेस के कृषिकरण के साथ ही ग्रामीणों को तकनीकी प्रशिक्षण और मशीनें उपलब्ध करवाकर अमेस के पांच तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिसमें कैंसर रोधी दवा समेत, जेली और चटनी और जूस भी शामिल है। राज्य के उद्यान निदेशक डॉ. विजय सिंह नेगी बताते हैं कि अमेस के प्रसंस्करण का बीस लाख रुपए का प्रोजेक्ट शुरू कर दिया गया है। उत्पाद तैयार करने के साथ ही विभाग देश भर में इसकी मार्केटिंग की भी व्यवस्था कर रहा है।

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उत्तराखंड

केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जनता का किया धन्यवाद

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देहरादून: केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत से साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है। ब्रांड मोदी के साथ साथ ब्रांड धामी तेजी से लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं। इस उपचुनाव में विरोधियों ने मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ कुप्रचार करके निगेटिव नेरेटिव क्रिएट किया और पूरे चुनाव को धाम बनाम धामी बना दिया। कांग्रेस के शीर्ष नेता और तमाम विरोधी एकजुट होकर मुख्यमंत्री पर हमलावर रहे। बावजूद इसके धामी सरकार की उपलब्धियों और चुनावी कौशल से विपक्ष के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। धामी के कामकाज पर जनता ने दिल खोलकर मुहर लगाई।

आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल नाम भर नहीं है, बल्कि एक ब्रांड हैं। मोदी के हर क्रियाकलाप का प्रभाव जनता के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है इसलिए पिछले दो दशकों से वह देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बने हुए हैं। ब्रांड मोदी की बदौलत केन्द्र ही नहीं राज्यों में भी भाजपा चुनाव जीतती चली आ रही है। उनके साथ ही राज्यों में भी भजपा के कुछ नेता हैं जो एक ब्रांड के रूप में अपनी पार्टी के लिए फयादेमंद साबित हो रहे हैं। तेजी से उभर रहे ऐसे नेताओं में से एक हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। सादगी, सरल स्वभाव, संवेदनशीलता और सख्त निर्णय लेने की क्षमता, ये वो तमाम गुण हैं जिनकी बदौलत पुष्कर सिंह धामी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। धामी ने उत्तराखण्ड में अपने कम समय के कार्यकाल में कई बड़े और कड़े फैसले लिए, जिससे देशभर में उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। खासकर यूसीसी, नकलरोधी कानून, लैंड जिहाद, दंगारोधी कानून, महिला आरक्षण आदि निर्णयों से वह देश में नजीर पेश की चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का दायरा उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में उनकी छवि एक ‘डायनेमिक लीडर’ की बन चुकी है।

 

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