Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

बिजनेस

उप्र : बिसवां चीनी मिल ने रिकॉर्ड उत्पादन कर महाराष्ट्र व तामिलनाडु को पछाड़ा

Published

on

उप्र : बिसवां चीनी मिल ने रिकॉर्ड उत्पादन कर महाराष्ट्र व तामिलनाडु को पछाड़ा

Loading

उप्र : बिसवां चीनी मिल ने रिकॉर्ड उत्पादन कर महाराष्ट्र व तामिलनाडु को पछाड़ा

विद्या शंकर राय

लखनऊ। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई है। वैज्ञानिकों के दिशा निर्देशन में सीतापुर के किसानों ने गन्ने की नई प्रजाति की फसल की खेती शुरू की। वैज्ञानिकों के इस प्रयास के चलते बिसवां चीनी मिल ने 2015-16 में चीनी परता के मामले में महाराष्ट्र व तामिलनाडु को भी पीछे छोड़ दिया है।

वैज्ञानिकों की मानें तो इस वर्ष बिसवां चीनी मिल में 12़.41 प्रतिशत चीनी परता हासिल कर देश में रिकॉर्ड कायम स्थापित किया है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र (औसत 11.21 प्रतिशत) जैसे राज्य चीनी रिकवरी में उप्र से पीछे छूट गए हैं।

लखनऊ में आईआईएसआर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार शाह ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान इसकी जानकारी दी।

शाह ने बताया, “बिसवां चीनी मिल परिक्षेत्र के गन्ना से कम रिकवरी हो रही थी। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की एक टीम वहां काम करने लगी। किसानों से बातचीत की गई। गन्ना की नई प्रजातियों की जानकारी दी गई। उत्साहित किसानों ने अर्ली वेराइटियों की बुवाई की। शुरुआती दिनों में थोड़ी दिक्कतें सामने आईं, लेकिन जब किसानों का रूझान बढ़ा तो परिणाम भी ठीक आए।”

शाह के अनुसार, बिसवां चीनी मिल ने यह उपलब्धि एक करोड़ क्विंटल गन्ना पेराई कर हासिल की है। प्रति दिन 7.5 हजार टन क्यूबिक पेराई क्षमता वाली बिसवां चीनी मिल ने वर्ष 2012-13 से वर्ष 2015-16 के बीच 75.10 करोड़ अतिरिक्त राजस्व कर पूरे भारत में रिकॉर्ड स्थापित किया है।

गन्ने की नई प्रजातियों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि नई प्रजातियों ने तो किसानों की तस्वीर बदल दी है। चीनी मिल को भी फायदा होने लगा। किसानों ने गन्ने की नई प्रजातियों कोलक 94184, सीओपीके 05195, सीओ 2.38 और को 118 की बुवाई कर उत्पादन को बढ़ाया। 16 से 17 प्रतिशत शर्करा वाली इन अगेती प्रजातियों की बुवाई का क्षेत्रफल अब 70 प्रतिशत हो गया।

शाह ने बताया कि वर्ष 2012-13 में बिसवां चीनी मिल में 9़.78 प्रतिशत की रिकवरी हुई। इसके बाद वर्ष 2013-14 में यह बढ़कर 10.17 प्रतिशत तक पहुंच गई। वर्ष 2014-15 में एक बार फिर रिकवरी का प्रतिशत बढ़ाकर 10़.38 तक पहुंच गया।

शाह ने कहा, “वर्ष 2014-15 में तो चीनी परता रिकॉर्ड 12.40 प्रतिशत तक पहुंच गया। यह वाकई किसानों की मेहनत और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की टीम की कोशिशों की वजह से ही हुआ है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।”

शाह ने बताया कि चीनी परता का प्रतिशत ऐसे ही नहीं बढ़ा। इसे लेकर आईआईएसआर की टीम लगातार किसानों के संपर्क में थी।

उन्होंने बताया, “हमने वहां के किसानों के खेतों में गन्ने की स्वस्थ फसल को उगाने का काम शुरू किया। इसके बाद आसपास के किसान भी इसको लेकर जागरूक हुए और फिर यह धीरे-धीरे बढ़ता चला गया।”

आईआईएसआर के प्रधान वैज्ञानिक ने बताया कि अब स्थिति यह है कि सीतापुर में करीब 150 किसान ऐसे हैं, जो संस्थान के सहयोग से गन्ने की फसल का उत्पादन कर रहे हैं।

गन्ना संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक ने हालांकि बातचीत के दौरान यह चिंता जाहिर की कि किसानों और संस्थान की टीम की मेहनत को हमेशा ही नजरअंदाज कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा, “जरूरत है किसानों व संस्थान की टीम को श्रेय देने की। बिसवां चीनी मिल ने रिकॉर्ड स्थापित किया है और इसका श्रेय किसानों व संस्थान की टीम को दिया जाना चाहिए।”

बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

Published

on

Loading

नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

Continue Reading

Trending